प्लास्टिक की वजह से हमारा पूरा पारिस्थिकी तंत्र, धरती, जल और पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। इन्हीं चिन्ताओं को देखते हुए, आईआईटी गुवाहाटी से केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट शशांक गुप्ता ने अपने साथियों के साथ मिलकर एडिबल स्ट्रॉ को बनाने का फैसला किया।
हरियाणा के फराज माजरा गाँव के 32 वर्षीय किसान वीरेंद्र यादव ने न सिर्फ बेहतर पराली प्रबंधन के जरिए पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया, बल्कि इससे 45 लाख रुपये भी कमा डाले।
आकाश की करीब 2 साल पुरानी लिविंग फूड कंपनी ‘फार्म टू फार्क’ के सिद्धांत पर काम करती है और ताजा सब्जियां, बेक्ड ब्रेड, आदि सीधे अपने ग्राहकों के दरवाजे तक पहुँचाती है।
त्रिपुरा में तैनात IFS Officer प्रसाद राव ने प्रकृति में प्लास्टिक की रोकथाम के लिए अपनी कोशिश के तहत, झाड़ू के हैंडल के लिए प्लास्टिक की जगह, बाँस का इस्तेमाल किया।
उत्तर प्रदेश के बरेली में रहने वाली मंजू लता मौर्य पिछले दो दशक से अधिक समय से टैरेस गार्डनिंग कर रही हैं। आज उनके बगीचे में सैकड़ों फूल और सजावटी पौधे होने के साथ-साथ कई बोनसाई पेड़ भी हैं।