केला में ग्लूकोज प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अलावा, इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, ऑयरन जैसे कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जिस वजह से यह हमारे शरीर में रक्त निर्माण और इसे शुद्ध रखने में भी काफी फायदेमंद होता है। केला हृदय रोग से लेकर गठिया, उच्च रक्तचाप, अल्सर, गैस्ट्रोएन्टराइटिस और किडनी की समस्याओं में भी कारगर है।
अपने स्वाद और चिकित्सक गुणों के कारण, केले की खेती भारत के हर हिस्से में सालों भर की जाती है। केले से कई तरह के उत्पादों, जैसे चिप्स, जैम, जैली, जूस आदि भी बनाये जाते हैं।
केला मूलतः जमीन पर उगाए जाने वाली फसल है, लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह गमले आदि में भी आप केला उगा सकते हैं।
कर्नाटक के बेंगलुरू में टैरेस गार्डनिंग करने वाली 63 वर्षीय राजा राजेश्वरी बता रहीं हैं कि हम छत पर केले की खेती कैसे कर सकते हैं।

राजेश्वरी ने द बेटर इंडिया को बताया, “केला कई गुणों से संपन्न है और इसका इस्तेमाल सब्जी बनाने से लेकर फल के तौर पर भी किया जाता है। हम इसके फूलों से चटनी भी बनाते हैं। वहीं, इसके पत्तों का उपयोग खाना खाने में भी किया जाता है। इस तरह, एक केले का पौधा, आपके कई काम में आते हैं।”
छत पर कैसे करें केले की बागवानी
राजेश्वरी बताती हैं, “केले की खेती सालों भर की जा सकती है, लेकिन इसके लिए बारिश का मौसम सबसे अच्छा है। क्योंकि, इसे काफी पानी की जरूरत होती है।”
वह आगे बताती हैं, “केले को बीज से तैयार करना सबसे कठिन है और जड़ों से तैयार करना बेहद आसान। केले के छोटे पौधे बाजार में काफी आसानी से मिल जाते हैं। इसे खरीद कर लाएँ और किसी बड़े ड्रम या ग्रोइंग बैग में इसे लगा दें।”
पौधे को लगाते समय किन बातों का रखें ध्यान
राजेश्वरी बताती हैं कि केले के पौधे को लगाते वक्त इसकी जड़ों को मिट्टी में कम से कम एक फीट अंदर रखें। इससे जड़ों को बढ़ने में मदद मिलती है।
वह बताती हैं, “अपने छत पर केला उगाने के लिए 70 फीसदी मिट्टी के साथ, 30 फीसदी वर्मी कम्पोस्ट या गोबर की खाद इस्तेमाल करें। खाद बनाने के दौरान नीम ऑयल या पाउडर का इस्तेमाल करना और भी बेहतर है। इससे पौधों को आसानी से बढ़ने में मदद मिलती है।”
कैसे करें रखरखाव
राजेश्वरी बताती हैं कि छत पर केले को उगाने के लिए ज्यादा रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती है। बस ध्यान रखें कि इसकी मिट्टी कभी सूखे ना। इसकी पत्तियों को कीट से बचाने के लिए जरूरत पड़ने पर, या हर महीने नीम ऑयल या हल्दी का स्प्रे कर सकते हैं। इससे पौधा बिल्कुल सुरक्षित रहेगा।

इसके अलावा, पौधा थोड़ा बड़ा होने पर इसे किसी लकड़ी या डंडे का सपोर्ट भी दें, ताकि तेज हवा में भी पौधा सुरक्षित रहे।
कितने वक्त में तैयार होता है पौधा
राजेश्वरी बताती हैं, “पौधा लगाने के एक महीने के बाद, यह खुद को सस्टेन करने लायक हो जाता है और इसमें नए पत्ते आने लगते हैं। इस तरह, आठ से नौ महीने में केले के पौधे में फल आने लगते हैं। इस दौरान ध्यान रखें कि ड्रम में पौधे की जड़ों से कोई और पौधा नहीं तैयार हो रहा है, इससे आपके मूल पौधे में फल आने में दिक्कत होती है।”
किन-किन चीजों की होती है जरूरत
- बड़ा ड्रम या ग्रोइंग बैग
- सपोर्ट के लिए लकड़ी या बाँस
- दोमट मिट्टी
- वर्मी कम्पोस्ट या गोबर खाद
क्या करें
- मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की मात्रा को सुनिश्चित करें।
- हर महीने नीम ऑयल और हल्दी को स्प्रे करें। इससे कीटनाशकों से बचाव होगा।
- नियमित रूप से मिट्टी की खुदाई करते रहें।
क्या न करें
- ड्रम में जल जमाव न होने दें। पौधों को कम हवादार जगह पर न रखें।
- रेतली और अत्यधिक चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल न करें।
- ड्रम में दूसरे पौधों को न विकसित होने दें।
तो देर किस बात की, आप भी अपने छत पर केले के पौधे लगाने की शुरूआत करें और अपने टैरेस गार्डन और इस फलदार पौधे से खूबसूरत बनाएं।
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संपादन – जी. एन झा
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