गरीबी ने मणिपुर के काकचिंग की मुक्तामणि देवी को अपनी बेटी के लिए जूते सिलने पर मजबूर कर दिया था और अब वह 'मुक्ता शूज़ इंडस्ट्री' की मालिक हैं और उनके जूते विदेशों तक में जाते हैं।
ओडिशा की सरोजिनी मोहंता ने बोनाई फॉरेस्ट डिविज़न के एक हिस्से में हर एक पौधे को अपना मानकर उसकी देखभाल की। आज उनके सम्मान में इस वनभूमि का नाम 'सरोजिनी वन' रखा गया है।
एक समय ऐसा था, जब नागरोटा (जम्मू कश्मीर) की रहनेवाली सीमा देवी भी आम गृहिणियों की तरह ही जीवन बिता रही थीं, लेकिन पति को अकेले घर चलाने की जद्दोजहद करता देख उन्होंने E-Rickshaw चलाने का फैसला किया।
बास्केटबॉल खिलाड़ी इंशा बशीर को तो आप जानते ही होंगे! आज वह बास्केटबॉल में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली जम्मू और कश्मीर की पहली महिला खिलाड़ी बन चुकी हैं। लेकिन यहां तक पहुंचने से पहले उन्होंने जो दर्द झेला उसका अंदाज़ा लगा पाना भी हम आपके लिए मुश्किल है।
उत्तराखंड के रहनेवाले नीरज पिछले छह सालों से ‘श्री बंसी गौ धाम’ नाम से अपना बिज़नेस चलाते हैं और गोबर का इस्तेमाल कर ढेर सारे प्रोडक्ट्स बनाकर बेच रहे हैं।
महज़ 3 फिट की पियाशा महलदार को उनकी शारीरिक परेशानियां भी अखिल भारतीय UGC-NET परीक्षा 2022 में 99.31 प्रतिशत अंक के साथ शानदार सफलता हासिल करने से रोक न सकीं।