शुरुआत में रंजना परिवार इस बिज़नेस के लिए सहमत नहीं हो रहे थे, इसलिए उन्होंने तय किया कि वह पहले घर पर ही मोती की खेती करके दिखाएंगी और परिवार का विश्वास जीतेंगी।
पहले ये आदिवासी महिलाएं जंगलों से सीताफल इकट्ठे करके सड़क किनारे बेचतीं थीं और मुश्किल से दिन के 100 रुपये कमातीं थीं, आज इन्हें एक ही टोकरी के लगभग 250 रुपये तक मिल जाते हैं।