लॉ के कोर्स में दाखिला लेने के बाद विदुषी ने जाना कि भारत के संविधान में ऐसे बहुत से कानून हैं जो महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये गए हैं लेकिन ज़मीनी स्तर पर महिलाओं को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
एक दिन गर्मी के मौसम में एक छत पर सात गुजराती महिलाएं अपने घर की गरीबी दूर करने के बारे में सोच रही थीं, उनके दिमाग में पापड़ बनाने का आइडिया आया और चार पैकेट के साथ शुरू हो गया लिज्जत पापड़ का सफ़र।
सहरसा में मात्र 55 प्रतिशत साक्षरता है, वहीं डिजिटल साक्षरता इससे भी काफी कम, लेकिन डॉ० शैलजा ने इन बाधाओं के बाद भी ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की मदद पहुंचाई।
पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर की रहने वाली सुशीला के गाँव की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि उनके पास चाय के बागान में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना ही एक मात्र विकल्प था लेकिन फिर भी उन्होनें हार नहीं मानी!