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Positive stories of women empowerment, achievements, initiatives, heroes, heroines, farmers, innovations, business and many more from Uttarakhand, India.उत्तर भारत के उत्तराखंड से जुड़ीं पॉजिटिव, सकारात्मक कहानियां, अच्छी ख़बरें, आविष्कार से सम्बंधित ख़बरें, अनजाने नायक जो एक बेहतर कल के लिए प्रयासरत हैं. उत्तराखंड की महिलाओं की कहानियां, जिन्होंने बदलाव की नींव रखी। उत्तराखंड के किसानों को प्रेरित करने वाली प्रगतिशील किसानों की ख़बरें। शून्य से शुरू करके शिखर तक पहुँचने वाले लोगों की कहानियां। छोटे व्यवसाय से अपनी किस्मत बदलने वाले लोगों की प्रेरक कथाएं। \ Positive stories of women empowerment, achievements, initiatives, heroes, heroines, farmers, innovations, business and many more from Uttarakhand, India.

बुरांश को बिज़नेस बना छोटे से गांव से की शुरुआत, आज देशभर में बेच रहीं 30 से ज्यादा उत्पाद

By Sanjay Chauhan

जीवन का नियम है कि जो संघर्ष करता है, वह अपने काफी ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है और इसे सही साबित कर दिखाया है नैनीताल के रामगढ़ ब्लाॅक के नथुवाखान गांव में रहनेवाली रमा बिष्ट ने। उन्होंने बुरांस से 20 गांवों की महिलाओं को रोजगार दिया है।

दो साल में घर में उगा दिए 200 पौधे, बदलाव देखकर चौंक जायेंगे आप

By प्रीति टौंक

देहरादून के औली रायपुर गांव के शोभित ममगई और उनकी माँ सुषमा ममगई ने लॉकडाउन के दौरान गार्डनिंग करने की सोची और सिर्फ दो सालों में फूलों के करीब 200 पौधे लगाकर अपने घर को एक सुन्दर आशियाना बना दिया।

पढ़ाई के साथ खेती की, दूध बेचा, मशरूम उगाए और संभाला 9 लोगों के परिवार को

मिलिए उत्तराखंड की सुपरवुमन बबीता रावत से, जिन्होंने 19 साल की छोटी-सी उम्र में अपनी पढ़ाई छोड़े बिना, एक एकड़ की जमीन पर खेती की, मशरूम उगाए, दूध बेचा और एक नर्सरी की शुरुआत की।

चार साल पहले तक एक पौधा भी नहीं आता था उगाना, आज फूलों की चादर से ढका रहता है इनका घर

By प्रीति टौंक

दिल्ली की पूनम अरोरा और उनका परिवार पिछले छह सालों से प्रदूषण और शहर की भागदौड़ छोड़कर देहरादून आ गए। जगह की कमी के कारण पूनम, शहर में पौधे नहीं उगा पाती थीं, लेकिन आज उनका घर कई रंग-बिरंगे फूलों से भरा है, जिसका सीधा लाभ परिवार के स्वास्थ्य को मिला है।

शहर में लैपटॉप के इर्द गिर्द घूमती जिंदगी छोड़ पहाड़ में डाला डेरा, शुरू की देवभूमि नर्सरी

दिल्ली में कॉरपोरेट नौकरी कर रहे सचिन कोठारी ने जॉब छोड़ दी और देहरादून वापस चले गए। वहां उन्होंने देवभूमि plant nursery शुरू की और आज वह गेंदा, बोक चोय, बैंगन, जैसे फूलों व सब्जियों की 20 से ज्यादा किस्मों की पौध बेचते हैं।

इस माउंटेन गर्ल ने जब लिया जन्म तो दादी हुईं थीं दुखी, अब राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

उत्तराखंड की रहनेवाली माउंटेन गर्ल शीतल, साल 2018 में दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा पर चढ़ने वाली सबसे युवा महिला बनीं। उनकी यह उपलब्धि 'गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में भी दर्ज हुई।

भाई-बहन ने किया ऐसा आविष्कार, जिससे कम हो जाएगी किसानों और जंगली जानवरों के बीच की लड़ाई

By प्रीति टौंक

गाजियाबाद के स्मृतिका शर्मा और उनके भाई अभय शर्मा ने एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया है, जो रात के समय फसलों को जंगली जानवरों से बचाने में मदद करती है।

उत्तराखंड: अलग-अलग काम किए पर नहीं मिली सफलता, अब जैविक खेती से कमाते हैं लाखों

By निशा डागर

टिहरी गढ़वाल के मैड तल्ला गांव में रहने वाले सुंदर लाल चमोली और उनकी पत्नी बिगुला चमोली पिछले 20 सालों से भी ज्यादा समय से पहाड़ों में जैविक तरीकों से खेती कर रहे हैं।

फ्रांस में मिल रही जॉब को छोड़, देश में रहकर किया ऐसा काम, गिनीज़ बुक में दर्ज हो गया नाम

By Sanjay Chauhan

अपनी माटी के लिए कुछ करने की खातिर, देवभूमि उत्तराखंड की शिवानी ने सात समंदर पार की नौकरी को भी ठुकरा दिया। आज वह अपनी बेहतरीन चित्रकारी की वजह से लोगों के बीच एक चर्चित चेहरा बन चुकी हैं।