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हिन्दी कविता को एक नयी उड़ान देने वाले 'उन्‍मुक्‍त गगन के पंछी' शिवमंगल सिंह 'सुमन'!

By निशा डागर

शिवमंगल सिंह का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगेरपुर में हुआ था। वे मशहूर हिंदी लेखक व कवि थे। अध्यापन के अलावा विभिन्न महत्त्वपूर्ण संस्थाओं और प्रतिष्ठानों से जुड़कर उन्होंने हिंदी साहित्य में योगदान दिया। 27 नवंबर 2002 को उनका निधन हो गया था।

केसरी सिंह बारहठ: वह कवि जिसके दोहों ने रोका मेवाड़ के महाराणा को अंग्रेजों के दिल्ली दरबार में जाने से!

By निशा डागर

राजस्थान के चारण घराने से ताल्लुक रखने वाले केसरी सिंह बारहठ प्रसिद्ध राजस्थानी कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म  21 नवम्बर, 1872 को शाहपुरा रियासत के देवपुरा गाँव में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया। 14 अगस्त 1941 को उनका निधन हुआ।

जयशंकर प्रसाद : वह कवि जो साहित्य के किसी एक विधा से संतुष्ट न था

By मानबी कटोच

JayShankar Prasad: Indian Poet Who Wrote Hindi Poems जयशंकर प्रसाद किसी एक विधा से संतुष्ट होने वाले साहित्यिकों में से नहीं थे।

सुदामा पाण्डेय 'धूमिल': हिंदी साहित्य का वह कवि जिसने जनतंत्र की क्रांति को शब्द दिए!

By निशा डागर

सुदामा पांडेय 'धूमिल' का जन्म 9 नवंबर 1936 को उत्तर-प्रदेश वाराणसी के निकट गाँव खेवली में हुआ था। उन के पिता शिवनायक पांडे एक मुनीम थे व माता रजवंती देवी घर-बार संभालती थी। अपनी लेखनी के चलते उन्हें 'धूमिल' उपनाम मिला। इन्हें हिंदी साहित्य का 'एंग्री यंग मैन' भी कहा जाने लगा।

इस्मत चुग़ताई : साहित्य का वह बेबाक चेहरा जिसे कोई लिहाफ़ छिपा न सका!

By निशा डागर

15 अगस्त 1911 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मी इस्मत चुग़ताई उर्दू साहित्य की महान लेखिका थीं। उनके द्वारा लिखे गये अफ़साने और कहानियों को आज भी पढ़ा जाता है। उनकी कहानी 'लिहाफ' को लेकर पुरे देश में बवाल मच गया था। फिर भी उनकी लेखनी का बेबाकपन कम न हुआ। 24 अक्टूबर 1991 में उन्होंने दुनिया से विदा ली।

यथार्थ के कवि निराला की कविता और एक युवा का संगीत; शायद यही है इस महान कवि को असली श्रद्धांजलि!

By निशा डागर

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म 21 फरवरी 1899 को ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रेसीडेंसी के मिदनापुर में हुआ था, हालांकि उन का परिवार उत्तर प्रदेश से था। उन्होंने कविता, कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं। वे छायावाद के प्रमुख स्तंभ थे। उनकी मृत्यु 15 अक्टूबर 1961 को हुई।

आईये भगत सिंह की डायरी के कुछ पन्ने उलटकर देखें, एक क्रांतिकारी के भीतर बसे कवि से कुछ सीखें!

By निशा डागर

28 सितम्बर 1907 को पंजाब के लायलपुर (अब पाकिस्तान में) गाँव में पैदा हुए भगत सिंह को को अन्य स्वतंत्रता सेनानियों जैसे राजगुरु और सुखदेव के साथ लाहौर साजिश के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। किताब 'द जेल नोटबुक एंड अदर राइटिंग्स' में भगत सिंह द्वारा लिखी गयी कवितायों और बातों के बारे में लिखा गया है।

हरियाणा के एक गांव से भूटान तक का सफर: फुटबॉल के दम पर बदल रही है इन आठ लड़कियों की ज़िन्दगी!

By निशा डागर

हरियाणा के गांव सादलपुर से ताल्लुक रखने वाली आठ लड़कियों ने भूटान में 9 अगस्त से शुरू होने वाले अंडर-15 टूर्नामेंट में अपनी जगह बनाई है। इसे दक्षिण एशियाई फुटबॉल फेडरेशन (एसएएफएफ) द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इन आठ लड़कियों के नाम हैं- मनीषा, अंजू, रितु, कविता, पूनम, किरण, निशा और वर्षा।

क्यूँ है 'दिनकर' की यह कविता आज भी प्रासंगिक? कौन है ज़िम्मेदार?

By मानबी कटोच

आज़ादी के सात वर्षो बाद रामधारी सिंह 'दिनकर' की लिखी एक कविता 'समर शेष है' आज भी मानो उतनी ही प्रासंगिक है! ये कविता ' याद दिलाती है कि आज भी दिल्ली में तो रौशनी है पर सकल देश में अँधियारा है!