Powered by

Latest Stories

Homeशनिवार की चाय

शनिवार की चाय

निराला : ध्रुपद : गुंदेचा बंधु : अंतिम प्रणाम

By मनीष गुप्ता

आइये एक चाय पद्म श्री रमाकांत गुंदेचा जी के नाम पी जाए. जिनका कुछ दिनों पहले 57 वर्ष की अल्पायु में आकस्मिक निधन हुआ है.

छठ पूजा : संगीत का हुस्न : नास्तिकता

By मनीष गुप्ता

आज शनिवार की चाय के साथ आइये हम कुछ सामाजिक, धार्मिक बेड़ियाँ तोड़ें और हमारे देश की सांस्कृतिक समृद्धि के इस फूल की ख़ुशबू का रस लें :)

वो आदमी कभी औरत था

By मनीष गुप्ता

ऐसा हो सकता है कि कोई मन अपने शरीर से सामंजस्य न बैठा पाए. उसे ऐसा लगे कि मैं (मन) हूँ तो स्त्री लेकिन एक पुरुष के शरीर में बेहतर रहता, या इसका उलट कि हूँ तो पुरुष लेकिन मेरा शरीर स्त्री का होना चाहिए था.