Placeholder canvas

सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’: हिंदी साहित्य का वह कवि जिसने जनतंत्र की क्रांति को शब्द दिए!

सुदामा पांडेय 'धूमिल' का जन्म 9 नवंबर 1936 को उत्तर-प्रदेश वाराणसी के निकट गाँव खेवली में हुआ था। उन के पिता शिवनायक पांडे एक मुनीम थे व माता रजवंती देवी घर-बार संभालती थी। अपनी लेखनी के चलते उन्हें 'धूमिल' उपनाम मिला। इन्हें हिंदी साहित्य का 'एंग्री यंग मैन' भी कहा जाने लगा।

“एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ–
‘यह तीसरा आदमी कौन है?’
मेरे देश की संसद मौन है।”

ह कविता ‘रोटी और संसद’ लिखी है हिंदी साहित्य के कवि सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’ ने। अगर इस कविता के गूढ़-अर्थ को सही से समझा जाए तो बेशक ये चंद लाइनें हमारे देश के हालातों को बयान करती हैं। कुछ ऐसी ही थी ‘धूमिल’ की लेखनी जो लगभग 5 दशक पहले ही आज की सच्चाई लिख गयी।

सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’

सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ का जन्म 9 नवंबर 1936 को उत्तर-प्रदेश वाराणसी के निकट गाँव खेवली में हुआ था। उन के पिता शिवनायक पांडे एक मुनीम थे व माता रजवंती देवी घर-बार संभालती थी। अपनी लेखनी के चलते उन्हें ‘धूमिल’ उपनाम मिला।

जब धूमिल ग्यारह वर्ष के थे तो इनके पिता का देहांत हो गया। बहुत कम उम्र से ही इनका जीवन संघर्षों से भरा रहा।

घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियां और समाज में बढ़ता भ्रष्टाचार, इस सबके बीच अपनी परिवार का पालन करते हुए, इनकी कलम भी चलती रही। इनकी कवितायें अक्सर विद्रोही स्वभाव की होती, इसलिए इन्हें हिंदी साहित्य का ‘एंग्री यंग मैन’ भी कहा जाने लगा।

‘संसद से सड़क तक’ काव्य-संग्रह

अपने जीवन काल के दौरान धूमिल ने अपना केवल एक काव्य-संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ प्रकाशित किया। हालांकि, इनके बाकी काव्य-संग्रह ‘कल सुनना मुझे,’ ‘धूमिल की कविताएं,’ और ‘सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र’ का प्रकाशन उनके मरणोपरांत हुआ।

उनकी कृति ‘कल सुनना मुझे’ के लिए उन्हें बाद में साहित्य अकादमी पुरुस्कार से भी नवाज़ा गया। ब्रेन ट्यूमर के चलते 10 फरवरी 1975 को मात्र 38 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

यक़ीनन, धूमिल को शायद फिर नए सिरे से समझे जाने की जरूरत है। इसके लिए उन्हें फिर से पढ़ना होगा, समझना होगा। तभी शायद हम उनके शब्दों में यथार्थ को और बारीकी से महसूस कर पायेंगें। तो आज पढ़िए, द बेटर इंडिया के साथ उनकी कवितायों के कुछ अंश…..

1. धूमिल की कविता ‘ग़रीबी’

2. ‘हरित क्रांति’ कविता

3. धूमिल की कविता ‘लोकतंत्र’ का एक अंश

4. ‘गृहस्थी: चार आयाम’ कविता का पहला भाग पढ़िए

5. धूमिल की मशहूर कविता ‘कुत्ता’ का एक अंश

6. ‘लोहे का स्वाद’ कविता, यह कविता धूमिल की अंतिम कविता भी मानी जाती है!


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X