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विजय सिंह 'पथिक': वह क्रांतिकारी पत्रकार, जिनके किसान आंदोलन के आगे झुक गये थे अंग्रेज़!

By निशा डागर

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार, विजय सिंह 'पथिक' का जन्म उत्तर-प्रदेश के बुलंदशहर जिले में गुठावली कलाँ नामक गाँव में साल 1882 में 27 फरवरी को हुआ था। उन्होंने राजस्थान के लोगों में जनक्रांति लाकर, इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा। साल 1954 में उनका निधन हुआ।

व्हीलचेयर पर बैठकर, 2,500 से भी ज़्यादा बच्चों को मुफ़्त शिक्षा दे चुके हैं गोपाल खंडेलवाल!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश में मिर्ज़ापुर के एक गाँव पत्तीकापुर में 49 वर्षीय गोपाल खंडेलवाल पिछले 20 साल से यहाँ के बच्चों के जीवन में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। गोपाल एक दिव्यांग हैं और चल नहीं सकते हैं। व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे ही अब तक उन्होंने सैकड़ों बच्चों की ज़िंदगी संवारी है। 

बदलाव : कभी भीख मांगकर करते थे गुज़ारा, आज साथ मिलकर किया गोमती नदी को 1 टन कचरे से मुक्त!

By निशा डागर

10 फरवरी 2019, रविवार की सुबह, स्वयंसेवकों के एक समूह ने उत्तर-प्रदेश के लखनऊ में गोमती नदी के घाट की साफ़-सफाई की और वहाँ जमा हुए प्लास्टिक के ढेर को हटाया। ये 17 स्वयंसेवक, जिन्होंने यहाँ घाटों से प्लास्टिक के कचरे को साफ किया, वे कभी भिखारी हुआ करते थे। इसकी शुरुआत शरद पटेल ने की है।

'झाँसी की रानी' को जन-मानस तक पहुँचाने वाली सुभद्रा!

By निशा डागर

16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के निकट निहालपुर नामक एक गाँव में जन्मीं सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। राष्ट्रीय चेतना के प्रति सजग इस कवियत्री के काव्य में आपको 'वीर रस' की आभा मिलेगी। उनकी कविता, 'झाँसी की रानी' के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

काथीखेड़ा से लॉस एंजिलस तक, भारत की 'पैड वीमेन' पर बनी फ़िल्म ने जीता ऑस्कर अवॉर्ड!

By निशा डागर

ऑस्कर अवॉर्ड्स की बेस्ट डॉक्युमेंट्री (शोर्ट सब्जेक्ट) कैटेगरी के लिए 'पीरियड. एंड ऑफ़ सेंटेंस' डॉक्युमेंट्री को नामित किया गया है। 'माहवारी' के विषय पर बनी इस डॉक्युमेंट्री की पृष्ठभूमि भारत के उत्तर-प्रदेश में हापुड़ जिले का एक छोटे-सा गाँव काथीखेड़ा है।

भारतीय रेलवे: 15 साल बाद वापिस आ रही है आपकी 'कुल्हड़ वाली चाय'!

By निशा डागर

भारतीय रेलवे ने उत्तर-प्रदेश में बनारस और राय बरेली के सभी रेलवे स्टेशननों पर खाने-पीने की वस्तुओं के लिए प्लास्टिक या पेपर कप की जगह टेराकोटा या पक्की मिट्टी से बने कुल्हड़, गिलास और प्लेट इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। इसका उद्देश्य स्थानीय कुम्हारों के लिए बड़ा बाज़ार उपलब्ध कराना है।

गोपालदास 'नीरज': 'कारवाँ गुजर गया' और रह गयी बस स्मृति शेष!

By निशा डागर

गोपालदास 'नीरज' का जन्म 4 जनवरी, 1925 को उत्तरप्रदेश के इटावा के 'पुरावली' नामक ग्राम में एक साधारण कायस्थ-परिवार में हुआ था। वे हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक थे। 19 जुलाई 2018 को उन्होंने दुनिया से विदा ली .

इन 10 प्रशासनिक अधिकारीयों ने अपने क्षेत्रों में किये कुछ ऐसे पहल, जिनसे मिली विकास की राह!

By निशा डागर

द बेटर इंडिया हर साल ऐसे 10 प्रशासनिक अधिकारियों (किसी विशेष क्रम में नहीं) के प्रयासों के बारे में पाठकों को बताता है, जिनकी वजह से कई जगह बदलाव आया है। यही अधिकारी हमें आशा की किरण देते हैं कि कुछ अच्छे अफसर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं!

काकोरी कांड में नहीं था कोई हाथ, फिर भी फाँसी के फंदे पर झूल गया था यह क्रांतिकारी!

By निशा डागर

ठाकुर रोशन सिंह का जन्म शाहजहाँपुर, उत्तर-प्रदेश  के खेड़ा नवादा गाँव में 22 जनवरी, 1892 को एक किसान परिवार में हुआ था। 9 अगस्त 1927 को हुए काकोरी कांड के लिए ब्रिटिश सरकार ने राम प्रसाद 'बिस्मिल', अशफ़ाक उल्ला खान और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी के साथ-साथ ठाकुर रोशन सिंह को भी फाँसी की सजा दी थी।

उत्तर-प्रदेश: महज़ 75 परिवारों के इस गाँव के हर घर में हैं एक आईएएस या आईपीएस अफ़सर!

By द बेटर इंडिया

कहा जाता है कि इस गाँव में सिर्फ प्रशासनिक अधिकारी ही जन्म लेते हैं। पूरे जिले में इसे अफ़सरों वाला गाँव कहते हैं।