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कभी बच्चे का पेट भरने के लिए दूध में मिलाती थीं पानी, आज कमाती हैं लाखों में!

By पूजा दास

एक सफल उद्यमी शिल्पा कहती हैं,"मैंने अपने बेटे का वित्तीय भविष्य सुरक्षित कर लिया है।” उन्हें अक्सर प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों द्वारा अपनी ज़िंदगी की प्रेरणादायक कहानी साझा करने और बिजनेस मैनेजमेंट पर बात करने के लिए आमंत्रित भी किया जाता है।

मुंबई: 10,000 किसानों के 300 से ज्यादा जैविक उत्पाद सीधे बाज़ार तक पहुंचा रही है यह युवती

By पूजा दास

मुंबई की उद्यमी कहती है, “मेरा अंतिम लक्ष्य छोटे पैमाने के किसान समुदायों को सशक्त बनाना है। मैं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करना चाहती हूं।'' #FarmersFirst #WomenEntrepreneurs

कैंटीन से लेकर चप्पल और मसाला फैक्ट्री तक संभाल रही हैं इन गांवों की महिलाएं!

By निशा डागर

कोरोना लॉकडाउन में प्रशासन ने गरीब परिवारों को जो राशन किट वितरित किया, उन्हें इन महिलाओं के गृह उद्योग द्वारा ही तैयार किया गया था!

गाँव के लोगों ने श्रमदान से बनाए तालाब, 6 गांवों में खत्म हुई पानी की किल्लत!

By निशा डागर

इन गांवों में हर परिवार के पास अब अपना तालाब है और अब उन्हें न तो घरेलू इस्तेमाल के लिए और न ही सिंचाई के लिए परेशान होना पड़ता है!

जबरन वेश्यावृत्ति में धकेली जाती थीं इस समुदाय की महिलाएं, एक संस्था ने बदल दी तस्वीर!

‘अपनेआप संस्था’ की कार्यकर्ता टिंकू खन्ना के अनुसार समुदाय के पुरुष कोई काम नहीं करते हैं और दिन भर शराब का सेवन और महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा करते हैं। शाम के समय घर की सभी महिलाओं को गाड़ियों में भरकर अलग-अलग स्थानों पर खरीदारों के पास ले जाया जाता है।

इस्तेमाल के बाद मिट्टी में दबाने पर खाद में बदल जाता है यह इको-फ्रेंडली सैनिटरी नैपकिन!

By निशा डागर

फ़िलहाल, भारत में 30 से भी ज्यादा आनंदी पैड्स मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं जो 12 अलग-अलग राज्यों में फैली हैं। इन सभी यूनिट्स को महिलाओं द्वारा ही चलाया जा रहा है!

'चावल की चाय' से 'रागी के मोमोज़' तक, झारखंडी खाने को सहेज रही हैं यह महिला!

By निशा डागर

"फ़ास्ट फ़ूड के जमाने में मैं लोगों को 'स्लो फ़ूड सेंटर' का विकल्प दे रही हूँ। जहां रुककर वे अपनी संस्कृति, अपने समुदायों और अपनी जड़ों के बारे में सोच-समझ सकते हैं। हमारी आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।"

18 महिलाओं से शुरू हुई संस्था आज दे रही है 50 हजार महिलाओं को रोजगार और प्रशिक्षण!

महिलाओं द्वारा बनाया गया सामान 'सम्भली' के जोधपुर स्थित शोरूम में विदेशी पर्यटकों एवं अन्य लोगों को बेचा जाता है और इसके बदले महिलाओं को उचित वेतन दिया जाता है।

शराब के लिए बदनाम महुआ से बनाये पौष्टिक लड्डू, विदेश पहुंचाकर किया बस्तर का नाम रौशन

कुपोषण से लड़ाई और महिलाओं को रोजगार के लक्ष्य को पूरा करती बस्तर की रज़िया शेख

E-स्त्री: कभी सिर्फ ब्रेड खाकर पूरी की पढ़ाई, आज चलाती हैं अपनी कंपनी!

By मानबी कटोच

एक बड़ी टीवी कंपनी में उन्हें जॉब भी मिली। पर जब उन्हें उनका काम समझाया गया तो वह दंग रह गयीं। काजल को असेंबली लाइन में खड़े होने का काम दिया जा रहा था, जहाँ 12वीं पास लोग भी काम कर रहे थे।