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महिलाओं को दुनिया घुमाने वाला स्टार्टअप, सिर्फ रु. 5000 में शुरू किया था कॉलेज गर्ल ने

इंदौर की रहने वाली साक्षी बालदे ने महिलाओं को दुनिया की सैर कराने के लिए ‘लेट हर ट्रैवल’ की शुरुआत नवंबर 2018 में महज 5000 रुपए से की थी। आज उनका सलाना टर्न ओवर करीब 25 लाख रुपए है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी।

वोकल फॉर लोकल की मिसाल है शोभा कुमारी की कला, 1000+ महिलाओं को दी है फ्री ट्रेनिंग

By निशा डागर

रांची, झारखंड की रहने वाली शोभा कुमारी, पिछले 27 सालों से हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में काम कर रही हैं। अपने संगठन ‘सृजन हैंडीक्राफ्ट्स’ के जरिए, वह हैंडीक्राफ्ट बैग और मिट्टी की गुड़िया जैसी चीज़ें बना रही हैं। उन्होंने अब तक हजार से ज्यादा महिलाओं को निःशुल्क ट्रेनिंग दी है। साथ ही, वह 40 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।

400 सेक्स वर्कर्स के लिए मसीहा हैं 70 वर्षीय अरूप, लॉकडाउन में भी पहुँचाते रहे राशन

By निशा डागर

कोलकाता में रहने वाले 70 वर्षीय अरूप सेनगुप्ता पिछले 4 सालो से 'नोतून जीबोन' नाम से अपना संगठन चला रहे हैं। इसके ज़रिए वह सेक्स वर्कर्स के बच्चों और घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए काम कर रहे हैं!

पाँच महिलाएं जिन्होंने उस उम्र में शुरू किया अपना बिज़नेस, जब आप रिटायर होने की सोचते हैं

जानिए कैसे इन पाँच महिलाओं ने ढलती उम्र में संभाली अपने बिज़नेस की डोर।

बेंगलुरु: नारियल की सूखी पड़ी पत्तियों से हर रोज़ 10,000 स्ट्रॉ बनाता है यह स्टार्टअप

Evlogia Eco Care, बेंगलुरु की एक स्टार्टअप कंपनी है, जो पेड़ों से गिरे सूखे नारियल के पत्तों से ‘लीफी स्ट्रॉज’ नाम से ईको-फ्रेंडली स्ट्रा बनाती है।

घर-घर से चीजें इकट्ठा कर बेचती हैं यह महिला, कमाई से भरती हैं ज़रुरतमंदों बच्चों की फीस

By निशा डागर

देवयानी कहतीं हैं 'री-स्टोर' का उद्देश्य सिर्फ गरीब लोगों की मदद करना नहीं है बल्कि वह यह भी सन्देश देना चाहतीं हैं कि हम सबको रियूज, रिसायकल के सिद्धांत को समझना चाहिए!

20 सालों से बेसहारा और मानसिक तौर पर अस्वस्थ महिलाओं का सहारा हैं यह डॉक्टर दंपति

By निशा डागर

"हमने एक महिला को कूड़े के ढेर पर बैठकर मल खाते हुए देखा और इस दृश्य ने हमें झकझोर कर रख दिया। उसी दिन हमने तय किया कि हमें कुछ करना होगा।" - डॉ. राजेंद्र

जॉब के साथ अपना व्यवसाय भी, 150 रुपये से शुरू कर पहुंची लाखों तक!

By निशा डागर

हर्षिता ने अपनी शुरूआत अपने दोस्तों के लिए पर्सनल स्केचबुक बनाने से की थी और अब वह ब्रांड्स को भी डिजाइनिंग सर्विसेज दे रही हैं!

ड्राइवर से लेकर उद्यमी बनने तक, इस महिला ने 10,000 से अधिक महिलाओं को बनाया सशक्त!

“यह दोष देने या खुद पर तरस खाने का समय नहीं था। मुझे उन हालातों का सामना करना था और उन्हें हर हाल में बेहतर बनाना था।“ - मंदिरा बरूआ

झारखंड: लॉकडाउन में 1.44 करोड़ थालियां परोस चुकी हैं सखी मंडल की ये ग्रामीण महिलाएं

By कुमार विकास

झारखंड के 2.46 लाख सखी मंडल से करीब 32 लाख ग्रामीण महिलाएं जुड़ी है, इस शानदार नेटवर्क का उपयोग जिला प्रशासन एवं सरकार के द्वारा दूरस्थ इलाकों तक सामाजिक दूरी, व्यक्तिगत स्वच्छता समेत अन्य जागरुकता संदेश के प्रसार के लिए भी किया जा रहा है ताकि स्थानीय समुदाय तक सही सूचनाएं पहुंच सके।