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बेटी की बीमारी ने बदली सोच, फैशन इंडस्ट्री में सुनहरा करियर छोड़, गाँव में करने लगे प्राकृतिक खेती!

By निशा डागर

"हर मुमकिन कोशिश करने के बाद भी हम अपनी बेटी को नहीं बचा पाए। इस दौरान हमें समझ में आया कि सिर्फ पैसे के पीछे भागना ही ज़िंदगी नहीं है।"

पहाड़ी महिलाओं को प्रोसेसिंग के गुर सिखा, उद्यमी बना रहीं हैं यह फ़ूड साइंटिस्ट!

By निशा डागर

"पहले हमारे घरों में माल्टा और निम्बू काफी खराब हो जाते थे लेकिन अब हमें इन्हें प्रोसेस करके जूस, अचार और स्क्वाश जैसी चीजें बनाना आता है। अब हमारे यहाँ कुछ बेकार नहीं जाता।"

गाँव के लोगों ने श्रमदान से बनाए तालाब, 6 गांवों में खत्म हुई पानी की किल्लत!

By निशा डागर

इन गांवों में हर परिवार के पास अब अपना तालाब है और अब उन्हें न तो घरेलू इस्तेमाल के लिए और न ही सिंचाई के लिए परेशान होना पड़ता है!

सुईं-धागे से लिखी सफलता की इबारत और गाँव को बना दिया 'हस्तशिल्प गाँव'!

By निशा डागर

इस गाँव की महिलाएं जो भी उत्पाद बनाती हैं उन्हें 'पहाड़ी हाट' ब्रांड नाम से बाज़ार में उतारा गया है और आज यह उत्पाद न सिर्फ भारत बल्कि जर्मनी, जकार्ता जैसी जगहों पर भी अपनी पहचान बना चुके हैं!

प्लास्टिक वापसी अभियान: 20 सरकारी स्कूल, 5200 छात्र, 555 किग्रा प्लास्टिक वेस्ट!

By निशा डागर

हर एक क्लास में से एक छात्र को 'प्लास्टिक प्रहरी' नियुक्त किया गया और इस तरह से इन 20 स्कूलों में 168 प्रहरी नियुक्त हुए!

भैंस-बकरी चराने वाले बच्चे आज बोलते हैं अंग्रेज़ी, एक शिक्षक की कोशिशों ने बदल दी पूरे गाँव की तस्वीर!

By निशा डागर

अल्मोड़ा जिले से लगभग 50-60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गाँव तक पहुँचने के लिए आपको सड़क मार्ग के आलावा, छह किमी का पैदल पहाड़ी रास्ता और एक नदी भी पार करनी पड़ती है!

पहाड़ी इलाकों के किसानों तक पहुँचाए लोहे के हल, 14 हज़ार पेड़ों को कटने से बचाया!

By द बेटर इंडिया

अब तक किसान लकड़ी से बने हल प्रयोग कर रहे थे। इसके लिए वे पूरे पेड़ को ही काट देते थे क्योंकि पेड़ के नीचे वाले हिस्से का उपयोग वे हल की फाल यानी खेत में खुदाई करने वाले हिस्से को बनाने के लिए करते थे। ऐसे में हर साल बड़ी संख्या में पेड़ हल की फाल बनाने के नाम पर मज़बूरी में काट दिए जाते थे। राज्य के 11 पहाड़ी जिलों में 6 लाख 45 हज़ार किसानों के द्वारा हर साल ढाई लाख पेड़ काटे जा रहे हैं।