मध्य प्रदेश के डिंडोरी की रहनेवाली दुर्गा बाई व्योम को सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया है। लेकिन उनके यहां तक पहुंचने की राह काफी मुश्किल रही है। पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी!
छत्तीसगढ़ के 30 वर्षीय आसिफ खान ने ‘बैम्बूका’ नाम की ईको-फ्रेंडली साइकिल बनाई है। बस्तर के आदिवासी जिले से होने के कारण, उन्होंने पारंपरिक हस्तकला को बढ़ाने और आदिवासियों को रोजगार देने के लिए यह आविष्कार किया था।
छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) के पातालकोट निवासी, सुकनसी भारती ने अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और पर्यावरण को बचाने के उदेश्य से, पत्तों से कटोरी (दौना) बनाना सीखा। आज वह, आस-पास के गावों और होटलों में अपने दौने बेच रहे हैं।
यात्रा की शौक़ीन केरल की मित्रा सतीश ने अपने 10 साल के बेटे के साथ, एक शानदार रोड ट्रिप पूरी की है। उन्होंने दक्षिण भारत से लेकर, देश के पूर्वोतर राज्यों के गांवों में छिपी कला को करीब से जानने के लिए, 16,804 किलोमीटर की यात्रा की।
गाँव में ब्लॉक प्रिंट का काम करने वाले लोग ख़त्म हो चुके थे और युवा इसे करना नहीं चाहते थे। लेकिन मुहम्मद युसूफ अपने अब्बा से मिली विरासत को इस तरह खोना नहीं चाहते थे। उन्होंने ठान लिया था कि कुछ भी हो जाए वह इस कला को मरने नहीं देंगे।