हरियाली से घिरे इस घर को बिना एक भी पेड़ काटे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह प्रकृति का ही हिस्सा लगता है! तमिलनाडु के शूलागिरि गाँव में स्थित इस घर को अवार्ड विनिंग आर्किटेक्ट वीनू डेनियल ने प्लास्टिक की 4000 बोतलों और मिट्टी से बनाया है।
कुन्नूर में रहने वाली 68 वर्षीया तारा जयप्रकाश पिछले कई सालों से बुनाई और क्रोशिया का काम कर रही हैं। तारा कुशन कवर, शॉल, बेबी सेट, टिश्यू बॉक्स व बेडशीट जैसी चीजें बनाकर शहर में आयोजित होने वाले मेलों में या सीधा ग्राहकों को बेचती हैं।
चेन्नई की अर्चना स्टालिन अपने स्टार्टअप ‘myHarvest’ के ज़रिए, जैविक खेती करने वाले किसानों का एक समुदाय बनाया है, जो ग्राहकों को सीधा किसानों से जोड़ने का काम करता है। लॉकडाउन के दौरान उनके स्टार्टअप ने तकरीबन एक करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।
तमिलनाडु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर जेगन विंसेंट, अपने 'फ्रेशरी फार्म्स' में 'एक्वापोनिक्स' तकनीक से खेती कर रहे हैं। जिससे उन्हें सालाना 45 टन मछलियों और हर महीने 4 टन सब्ज़ियों का उत्पादन मिलता है।
मदुरई, तमिलनाडु के एक गाँव के रहने वाले मुरुगेसन ने केले के फाइबर की प्रोसेसिंग के लिए एक मशीन बनाई है, जिससे वह हर साल 500 टन फाइबर वेस्ट को प्रोसेस करके बैग, टोकरी, और चटाई जैसे उत्पाद बना रहे हैं। इस उद्यम से लगभग 350 लोगों को रोजगार मिल रहा है।
हेमलता अन्नामलाई ने 2008 में तमिलनाडु के कोयंबटूर में अपनी कंपनी, Ampere Vehicles Pvt. Ltd की शुरुआत की, जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग इलेक्ट्रिक-वाहन बना रही है!