Placeholder canvas

8वीं पास ने बनाई फाइबर वेस्ट से बैग, चटाई, टोकरी बनाने वाली मशीन, करोड़ों में हुई कमाई

मदुरई, तमिलनाडु के एक गाँव के रहने वाले मुरुगेसन ने केले के फाइबर की प्रोसेसिंग के लिए एक मशीन बनाई है, जिससे वह हर साल 500 टन फाइबर वेस्ट को प्रोसेस करके बैग, टोकरी, और चटाई जैसे उत्पाद बना रहे हैं। इस उद्यम से लगभग 350 लोगों को रोजगार मिल रहा है।

तमिलनाडु के मदुरई में मेलाक्कल गाँव में रहने वाले 57 वर्षीय पीएम मुरुगेसन केले के फाइबर (Banana Fiber) से रस्सी बनाकर, इसके कई तरह के उत्पाद बना रहे हैं। उनके ये इको-फ्रेंडली उत्पाद न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशी ग्राहकों तक भी पहुँच रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके मुरुगेसन न सिर्फ एक सफल उद्यमी बल्कि एक आविष्कारक भी हैं। केले के फाइबर से रस्सी बनाने के काम को आसान और प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने एक मशीन का आविष्कार किया। अपने इस आविष्कार के दम पर उन्होंने अपना व्यवसाय तो बढ़ाया ही साथ ही, वह अपने गाँव के लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “खेती में अपने पिता की मदद करने के लिए मुझे आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। घर की आर्थिंक स्थिति ठीक न होने के कारण मैं आगे पढ़ाई नहीं कर पाया।” कृषि परिवार में पले-बढ़े मुरुगेसन ने बचपन से ही इस क्षेत्र में असफलताएं देखी थीं। वह कहते हैं कि राज्य के कृषि विभाग की मदद के बावजूद खेती में कमाई नहीं हो पा रही थी। ऐसे में वह जब अपने आस-पास कोई मौका तलाशने की कोशिश करते, तो उन्हें निराशा ही हाथ लगती थी। लेकिन एक दिन उन्होंने अपने गाँव में किसी को फूलों की माला बनाते समय धागे की जगह केले के फाइबर का इस्तेमाल करते हुए देखा। तब उन्हें केले के कचरे से बने उत्पादों का व्यवसाय करने का विचार आया। 

वैसे तो केले के पेड़ के पत्ते, तना और फल आदि सभी कुछ इस्तेमाल में आता है। लेकिन इसके तने से उतरने वाली दो सबसे बाहरी छाल कचरे में जाती है। इन्हें किसान या तो जला देते हैं या ‘लैंडफिल’ के लिए भेज देते हैं। हालांकि मुरुगेसन को केले के इसी कचरे में अपने भविष्य की राह नज़र आई। 

Eco-friendly products
PM Murugesan

कचरे में ढूंढा खजाना:

साल 2008 में मुरुगेसन ने केले के फाइबर से रस्सी बनाने का काम शुरू किया। वह बताते हैं कि उन्होंने केले के फाइबर का इस्तेमाल फूलों की माला बनाते समय धागे के तौर पर प्रयोग होते हुए देखा। वहीं से उन्हें यह विचार आया। इस बारे में उन्होंने अपने परिवार के साथ चर्चा की और काम शुरू किया। शुरुआत में यह काम बहुत ही ज्यादा मुश्किल था। वह सबकुछ अपने हाथों से ही कर रहे थे। ऐसे में वक़्त भी काफी लगता और फाइबर से रस्सी बनाते समय यह कई बार अलग भी हो जाती थी। 

इसलिए उन्होंने नारियल की छाल से रस्सी बनाने वाली मशीन पर इसका ट्रायल किया। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्होंने बताया, “मैंने नारियल की छाल को प्रोसेस करने वाली मशीन पर केले के फाइबर की प्रोसेसिंग ट्राई की। यहां काम नहीं बना लेकिन मुझे, एक आईडिया मिल गया।” मुरुगेसन ने केले के फाइबर की प्रोसेसिंग मशीन बनाने के लिए कई ट्रायल्स किए। आखिरकार उन्होंने पुरानी साइकिल की रिम और पुल्ली का इस्तेमाल करके एक ‘स्पिनिंग डिवाइस’ बनाया। यह काफी किफायती आविष्कार था। 

बनाई अपनी मशीन:

banana fiber
His Machine

उनका कहना है कि फाइबर की प्रोसेसिंग के बाद वह इससे जो उत्पाद बना रहे थे, वे बाजार के अनुकूल होने चाहिये थे। इसलिए उन्हें रस्सी की गुणवत्ता पर काम करना था। इस प्रक्रिया में उन्होंने अपने डिवाइस में लगातार बदलाव किये और लगभग डेढ़ लाख रुपये की लागत के साथ अपनी मशीन तैयार की। इस मशीन के लिए उन्हें पेटेंट भी मिल चुका है। वह बताते हैं, “मशीन तैयार करने के बाद मैंने ‘बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल‘ (BIRAC) से संपर्क किया। वहां मैंने उन्हें अपना डिजाईन दिखाया और उनसे मदद मांगी। इसके बाद वे मेरे गाँव आकर, मशीन देखकर गए और उन्हें यह आईडिया बहुत पसंद आया। उन्होंने इलाके के दूसरे किसानों को भी यह मशीन इस्तेमाल करने की सलाह दी।”

इस मशीन से उनका काम चल तो रहा था। लेकिन और भी कई चीज़ें थीं जिन्हें वह हल करना चाहते थे। वह कहते हैं कि उत्पादों की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए जरुरी था कि, फाइबर से जो रस्सी हम बना रहे हैं वह मजबूत हो। इसके लिए वह फाइबर से रस्सी बनाने के बाद, दो रस्सियों को साथ में जोड़ते थे। इससे रस्सी की मजबूती बढ़ जाती है। फिर इसी रस्सी से उत्पाद बनाए जाते हैं। उनकी मशीन से रस्सियाँ तो बन रही थीं। लेकिन दो रस्सियों को साथ जोड़ने का काम हाथ से ही हो रहा था। 

ऐसे में उन्होंने साल 2017 में रस्सी बनाने के लिए एक ऑटोमैटिक मशीन बनाई। इस मशीन की खासियत है कि यह रस्सी बनाने के साथ ही दो रस्सियों को साथ में जोड़ती भी है। मुरुगेसन बताते हैं, “इस मशीन से पहले मैं जिस मशीन पर काम कर रहा था उसमें ‘हैंड व्हील मैकेनिज्म’ था। इसमें एक व्हील पर पांच लोगों की ज़रूरत होती थी, जिससे 2500 मीटर लम्बी रस्सी बनती थी। लेकिन नई मशीन से हम 15000 मीटर लम्बी रस्सी बनाते हैं और इस प्रक्रिया में सिर्फ चार लोगों की ही ज़रूरत होती है।”

शुरू किया अपना बिज़नेस:

banana fiber
Women Artisans working on Banana Fiber

मुरुगेसन ने अपनी मशीन बनाने और अपने काम को बढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत की है, लेकिन आज वह जिस मुक़ाम पर हैं उसे देख कर, उन्हें खुद पर गर्व महसूस होता है। मात्र पांच लोगों के साथ शुरू हुआ उनका काम, 350 कारीगरों तक पहुँच चुका है। अपने उद्यम ‘एमएस रोप प्रोडक्शन सेंटर’ के जरिये वह इन सभी को अच्छा रोजगार दे रहे हैं। जिसकी सबसे अच्छी बात यह है कि बहुत-सी महिलाएं अपने समय के अनुसार अपने घरों में रह कर काम कर पाती हैं। ये सभी महिलाएं उनसे रॉ मटीरियल ले जाती हैं और अपने घरों पर टोकरी, चटाई, बैग जैसे उत्पाद बनाकर उनके यहां पहुंचाती हैं। 

इन इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल उत्पादों की विदेशों में भी काफी मांग है। राज्य के सहकारिता समूहों और कारीगरों के मेलों में वह अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाते हैं। इसके अलावा उनके ज्यादातर उत्पाद एक्सपोर्ट होते हैं। मुरुगेसन हर साल लगभग 500 टन केले के ‘फाइबर वेस्ट’ की प्रोसेसिंग करते हैं। इससे उनका सालाना टर्नओवर लगभग डेढ़ करोड़ रूपये है। 

उनके उत्पादों के अलावा मुरुगेसन द्वारा बनाई हुई मशीनों की भी काफी मांग है। उन्होंने अब तक तमिलनाडु के अलावा मणिपुर, बिहार, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में लगभग 40 मशीनें बेची हैं। मशीन बेचने के साथ-साथ वह लोगों को इस मशीन को इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग भी देते हैं। वह बताते हैं, “मुझसे ‘नाबार्ड‘ ने भी 50 मशीनों के ऑर्डर के लिए संपर्क किया है जिन्हें वे अफ्रीका भेजेंगे।”

मिले हैं सम्मान:

अपने आविष्कार और उद्यम के लिए मुरुगेसन को अब तक सात राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सम्मानों से नवाजा जा चुका है। उन्हें सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of Micro Small and Medium Enterprises Department) के अंतर्गत खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा ‘पीएमईजीपी‘ (प्राइम मिनिस्टर एम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम) अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्रालय से ‘राष्ट्रीय किसान वैज्ञानिक पुरस्कार’ और जबलपुर में कृषि विज्ञान केंद्र से ‘सर्वश्रेष्ठ उद्यमी पुरस्कार’ भी मिला है। 

Tamilnadu Innovator
He has won several awards

पुरस्कारों से भी ज्यादा मुरुगेसन को इस बात की खुशी है कि वह अपने गाँव और समुदाय में बदलाव लाने में सक्षम रहे हैं। उनकी एक पहल से आज सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है। आखिर में मुरगेसन बस इतना कहते हैं कि वह संतुष्ट हैं। अपने प्रयासों से वह देश के मंत्रियों, विदेशी प्रतिनिधियों और अन्य राज्यों के लोगों को अपने गाँव में लायें और उन्हें सिखा पायें, इससे ज्यादा उन्हें और क्या चाहिए! यकीनन मुरुगेसन देश की हर पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा हैं। 

अगर आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है तो आप उन्हें 9360597884 पर मैसेज कर सकते हैं। 

इंटरव्यू साभार: विद्या राजा 

संपादन – प्रीति महावर

यह भी पढ़ें: राजस्थान की MBA किसान, मशरूम उगाकर, अचार, नमकीन जैसे उत्पाद से कमा रहीं हैं लाखों

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

banana fiber, banana fiber, banana fiber, banana fiber

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X