"भारत में ग्रीन बिल्डिंग को लेकर जिस प्रैक्टिस को अपनाया जा रहा है, उससे घर में ऊर्जा की काफी खपत होती है और यह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है।” - संजय प्रकाश
केरल के कोट्टायम की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच त्रावणकोर वास्तुकला के आधार पर बने इस घर में पैसिव कूलिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जिसके कारण भीषण गर्मी में एसी की जरूरत नहीं पड़ती है।
वसुधैव राइड एक ऐसी यात्रा थी, जिसके तहत प्रशांत और बेन ने मोटर साइकिल से 30 महीने में भारत से नेपाल, तिब्बत, चीन, यूनान, स्कॉटलैंड जैसे 22 देशों की यात्रा कर डाली।
गायत्री ने महाराष्ट्र में जैविक खेती शुरू करने के लिए 10 साल पहले अमेरिका में नौकरी छोड़ दी। अब वे अपने 10 एकड़ जमीन पर फलों और सब्जियों से लेकर, औषधीय पौधों की भी खेती करती हैं।
घर के अंदर प्रवेश करते ही सूरज की रोशनी और ताजी हवा से भरपूर बड़ा सा लिविंग रूम नजर आता है। 25 साल से भी अधिक पुराने जामुन के पेड़ के कारण घर के अंदर एक छोटा लेकिन सुंदर आँगन बन पाया है।
2 एकड़ के भूखंड पर निर्मित इस घर में 800 वर्ग फुट में एक ईंट और कंक्रीट की दीवारों वाला स्विमिंग पूल फैला हुआ है, साथ ही यहाँ ऑर्गेनिक खेत भी हैं, जहाँ कई प्रकार की सब्जियाँ उगाई जाती हैं।
नयी टाइलें खरीदने के बजाय, सनी ने पुराने टूटे हुए मकानों की टाइलें महज़ रु.5 प्रति टाइल के दर से खरीदीं, जो आज बनाई जा रहीं टाइलों के मुकाबले बेहद सस्ती भी थीं और मज़बूत भी।