दासपा, राजस्थान के बाबूलाल सुथार को अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशी तब मिली, जब उनका बेटा रवींद्र सुथार हाई कोर्ट में जज बना। पढ़ें इनकी सफलता की प्रेरणादायी कहानी।
गरीबी ने मणिपुर के काकचिंग की मुक्तामणि देवी को अपनी बेटी के लिए जूते सिलने पर मजबूर कर दिया था और अब वह 'मुक्ता शूज़ इंडस्ट्री' की मालिक हैं और उनके जूते विदेशों तक में जाते हैं।
भारतीय स्टार्टअप ‘अग्निकुल कॉसमॉस’ के बनाए, दुनिया के पहले सिंगल-पीस 3डी-प्रिंटेड रॉकेट इंजन का तिरुवनंतपुरम के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन की 'वर्टिकल टेस्ट फैसिलिटी' में सफल परीक्षण किया गया है।
कम निवेश और कम देखभाल में ज़्यादा मुनाफ़े के लिए मोती की खेती कर रहे अजमेर, रसूलपुरा गांव के 41 वर्षीय रज़ा मोहम्मद ने प्रयोग के तौर पर एक छोटी सी शुरुआत की थी, लेकिन आज वह इससे लाखों कमा रहे हैं।
घरेलू काम करते हुए बिहार की रश्मि कुमारी ने एक दिन सरकारी परीक्षा देने की सोची और अपने बच्चों के साथ पढ़ाई करके बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा पास कर ली। है न कमाल की बात!
बहराइच के जिलाधिकारी के वाहन चालक जवाहर लाल मौर्या के बेटे कल्याण सिंह मौर्या ने UPPCS की कठिन परीक्षा में 40वीं रैंक हासिल कर यह साबित कर दिया है कि मेहनत और सफलता सुविधाओं की मोहताज नहीं होती।
ओड़िशा के रहने वाले सूरज कुमार बेहरा के पिता एक अस्पताल के सामने चाय की रेहड़ी लगाते हैं। बचपन से ही सूरज का सपना था कि वह डॉक्टर बनें। लेकिन कोचिंग की फ़ीस भरने तक के पैसे नहीं थे। पढ़ें, ऐसे हालातों के बावजूद सूरज ने कैसे NEET क्रैक करके बदली अपनी और परिवार की क़िस्मत।
पंजाब के 65 वर्षीय प्रेमचंद पिछले 40 वर्षों से गन्ना (Sugarcane farming), आलू, गेहूं और बीट जैसे फसलों की खेती कर रहे हैं। अपने खेत में वह तीन तरह के गुड़ बनाते हैं, जिससे उन्हें डेढ़ गुना अधिक कमाई हो रही है।
झालावाड़, राजस्थान की रहनेवाली नाजिया के पिता टेम्पो चालक हैं और माँ एक गृहिणी होने के साथ-साथ खेतों में मजदूरी भी करती हैं। नाजिया की इस सफलता से न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरा गांव बेहद खुश है।