IAS दिव्या तंवर की मजदुर माँ को कभी यह मालूम ही नहीं था कि बेटी UPSC की तैयारी कर रही है। वह तो बस यही सोचकर खुश थीं कि बेटी पढ़ाई कर रही है। माँ की मेहनत और घर की गरीबी ही बनी उनकी ताकत, जिसके दम पर उन्होंने बिना कोचिंग के अपने पहले प्रयास में ही UPSC पास करके इतिहास रच दिया।
दस सालों तक सिविल सर्विस करने के बाद रवि कपूर ने नौकरी छोड़कर UPSC Aspirants को परीक्षा की तैयारी में मदद करना शुरू किया और वो भी बिना किसी फीस के! आज वह लाखों बच्चों को UPSC परीक्षा के जुड़े टिप्स दे चुके हैं।
गुजरात कैडर की IAS अधिकारी अंजू शर्मा 10वीं क्लास की प्री बोर्ड परीक्षा में केमिस्ट्री में फेल हो गई थीं और फिर 12वीं में इकोनॉमिक्स के पेपर में भी, लेकिन फिर वह कॉलेज में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं और पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा पास कर अफसर भी बनीं।
Ph.d. की पढ़ाई करने के बाद वर्मीकम्पोस्ट का काम शुरू करने वाले जयपुर के डॉ. श्रवण यादव को लोगों ने कहा- डॉक्टर होकर खाद बेचोगे। आज वह हजारों युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं और खुद भी लाखों रुपये कमा रहे हैं। अपनी सफलता का श्रेय वह द बेटर इंडिया को देते हैं।
70 साल की कंचन परुलेकर, महाराष्ट्र के कोल्हापुर के एक संगठन, स्वयंसिद्ध का संचालन करती हैं और इसके ज़रिए उन्होंने करीब 29 सालों में 20 हज़ार से भी अधिक महिलाओं को उद्यमी बनाने का काम किया है।
गोरखपुर की संगीता पांडेय, जिन्हें कभी लोगों ने हर वह बात कही, जिससे उनका हौसला टूट जाए, लेकिन फिर भी वह हालातों और समाज दोनों से लड़ीं, तमाम मुश्किलों के बावजूद अड़ी रहीं और मिठाई के डिब्बे बनाकर करोड़ों का बिज़नेस खड़ा कर दिया।
केरल के मोहम्मद अली शिहाब, चपरासी की नौकरी से लेकर IAS अधिकारी बनने तक के अपने सफ़र के दौरान कई परीक्षाएं देते रहते थे और इस बीच उन्होंने 21 एग्ज़ाम क्लियर किए हैं।
महाराष्ट्र के उस्मानाबाद की रहनेवाली कमल कुंभार को गरीबी के कारण न तो बचपन में शिक्षा मिली और न ही शादी के बाद प्यार। लेकिन आज वह छह अलग-अलग बिज़नेस की मालकिन हैं और एक रोल मॉडल भी।