महाराष्ट्र के परभणी जिले के एक छोटे से गांव वाजुर के रहनेवाले प्रल्हाद पवार, नदी के किनारे पड़े पत्थरों से कई रचनात्मक कलाकृतियां बनाते हैं। उनकी यह कला आज जिले की शान बन गई है।
'डीहाइड्रेशन' की पुरानी तकनीक को इस्तेमाल करके हैदराबाद के अनुभव भटनागर ने अपना स्टार्टअप, Zilli's शुरू किया है। जिसके अंतर्गत वह प्राकृतिक, प्रेज़रवेटिव-फ्री और रेडी टू कुक प्रोडक्ट्स बना रहे हैं।
छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) के पातालकोट निवासी, सुकनसी भारती ने अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और पर्यावरण को बचाने के उदेश्य से, पत्तों से कटोरी (दौना) बनाना सीखा। आज वह, आस-पास के गावों और होटलों में अपने दौने बेच रहे हैं।
31 वर्षीय बकुल खेतकडे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, उन्होंने अपनी IT नौकरी से ब्रेक लिया और शौक के लिए Mandala Art बनाना सीखा। आज उनकी वही कला, उनका काम बन चुकी है, जिसे वह बड़ी ख़ुशी से कर रही हैं।
उत्तराखंड के देहरादून में रहनेवाले हर्षित सहदेव ने 2018 में Himshakti स्टार्टअप की शुरुआत की, जिसके तहत वह न सिर्फ भारत में, बल्कि दूसरे देशों में भी जैविक और प्राकृतिक खाद्य उत्पाद पहुंचा रहे हैं।
दिल्ली में पली-बढ़ी, श्री सिस्टर्स- तरु श्री, अक्षया श्री और ध्वनि श्री, साथ मिलकर 'Silpakarman' नामक ब्रांड चला रही हैं, जिसके अंतर्गत वह बांस के बने मग, कप, फ्लास्क, डेकॉर और फर्नीचर आदि के साथ अब Bamboo Tea भी बना रही हैं।
नोएडा की महिला उद्यमी, समीक्षा गनेरीवाल ने एक Startup लॉन्च किया है, जहाँ वह 100% कम्पोस्टेबल कागज़ से बोतलें बना रही हैं। Say no to plastic और आज ही अपनाएं यह इको-फ्रेंडली बोतल।
बेंगलुरु के बेंजामिन और आइवी ने IT की नौकरी छोड़ एक मज़ेदार स्टार्टअप शुरू किया है, जिसमें उनका काम है सिर्फ घूमना और फ़िल्में देखना। ये दोनों फेसबुक, नेटफ्लिक्स, वायकॉम 18, कलर्स, एक्सेल एंटरटेनमेंट जैसी कंपनी की फिल्मों, विज्ञापनों और वेब सीरीज़ के लिए लोकेशन तलाशते हैं।
महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले 29 वर्षीय प्रदीप जाधव, साल 2018 से अपना फर्नीचर और होम डेकॉर का बिज़नेस चला रहे हैं। उनके स्टार्टअप का नाम ‘Gigantiques’ है, जिसके अंतर्गत, वह इंडस्ट्रियल वेस्ट को अपसायकल करके, फर्नीचर और होम डेकॉर का सामान बनाते हैं।