Powered by

Latest Stories

HomeTags List social media

social media

इस Children’s Day पर, The Better India, बेंगलुरु के प्रवासी मजदूर बच्चों को स्कूल से जोड़ रहा है

By प्रीति टौंक

बेंगलुरु के प्रवासी मजदूर परिवारों के बच्चों के लिए स्कूल आम बात नहीं! उनके जीवन में, माता-पिता की मदद करना, दिन की मजदूरी कमाना या मिट्टी में खेलना, बिना किसी भविष्य के सपने, बिना किसी उम्मीद के।

जुहू बीच पर मेहंदी लगाने वाली सोनाली बनीं सोशल मीडिया स्टार, बॉलीवुड भी है उनका कायल

By प्रीति टौंक

Famous On Instagram, Sonali The Mehandi Artist Speaks Fluent English जुहू बीच पर लोगों के हाथों में मेहंदी लगाने वाली सोनाली

9 To 9 की IT नौकरी छोड़कर, ऑनलाइन सीखा Mandala Art और शुरू कर दिया अपना बिज़नेस

By प्रीति टौंक

31 वर्षीय बकुल खेतकडे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, उन्होंने अपनी IT नौकरी से ब्रेक लिया और शौक के लिए Mandala Art बनाना सीखा। आज उनकी वही कला, उनका काम बन चुकी है, जिसे वह बड़ी ख़ुशी से कर रही हैं।

Gucci की तरह, क्या हम भारतीय भी अपना देसी कुर्ता 2.5 लाख रुपये में नहीं बेच सकते?

By प्रीति टौंक

कुछ दिनों से इटेलियन लक्ज़री फ़ैशन ब्रांड, Gucci का एक 'फ्लोरल एम्ब्रायडरी ऑर्गेनिक काफ्तान' चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसकी वजह है इसकी कीमत, एक ट्विटर यूजर ने 3,500 डॉलर यानी 2.5 लाख रुपये के इस कुर्ते के बारे में ट्वीट किया था।

'द ग्रोइंग जिराफ़' एक माँ की, बच्चों के लिए हेल्दी फूड बनाने की सक्सेस स्टोरी

By प्रीति टौंक

मुंबई की रुक्मिणी ने 2018 में अपने फ़ूड स्टार्टअप ‘द ग्रोइंग जिराफ़’ की शुरुआत बच्चों के पोषण को ध्यान में रख कर की थी। आज, उनके बनाये रागी, पीनट बटर जैसे सुपर फूड से बनी कुकीज़ और बार, बच्चों के साथ-साथ, बड़ो की भी पसंद बन चुके हैं।

गमले में कटहल और अंगूर? इनसे जानिए कैसे संभव है

By प्रीति महावर

अपने 1,200 वर्ग फुट छत पर 100 किस्म की फल-सब्जियां उगाने वाले मैंगलोर के ब्लैनी डिसूजा, गमले में कटहल और अंगूर तक उगा लेते हैं।

एक IPS की श्रद्धांजलि, शहीद हेड कांस्टेबल की याद में शुरू किया मुफ़्त बुक-बैंक

By द बेटर इंडिया

छत्तीसगढ़ के युवा IPS सूरज सिंह परिहार मुफ़्त बुक-बैंक पहल से हजारों युवाओं की मदद कर रहे हैं।

'एक रुपया मुहिम' से 3 साल में जोड़े 2 लाख रुपये, भर रही हैं 33 बच्चों की फीस!

By निशा डागर

"मैंने अपने कानों से लोगों को मुझे 'भिखारी' कहते हुए सुना है। कोई कहता कि देखते हैं कितने दिन तक यह मुहिम चलती है। भला एक रुपये में ऐसी क्या दुनिया बदल देगी।"