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4 sq ft जगह में 32 पौधे उगाए

By प्रीति टौंक

पौधे उगाने हैं, गार्डन बनाना है, लेकिन उगाएं कैसे? जगह ही नहीं है 😐 ऐसी शिकायतों के लिए दो दोस्तों ने एक ऐसा आविष्कार किया है, जिसकी मदद से आप सिर्फ 4 sq ft जगह में 32 पौधे उगा सकते हैं! खुद ही देख लीजिए!

गोवा में बंजर ज़मीन पर बना हरा-भरा ईको-फ्रेंडली होमस्टे

65 साल के पेंटा फेराओ पेशे से एक वकील हैं; लेकिन पर्यावरण के लिए उनका लगाव ऐसा है कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ गोवा के जंगल में एक बेकार पड़ी ज़मीन पर बना दिया इको-फ्रेंडली विलेज! जो आज प्रकृति का घर है और शहरी लोगों को सस्टेनेबल जीवन के मायने सिखा रहा है।

बेसहारा विधवाओं को सहारा और सम्मान दे रहीं 'ऐंजल ऑफ़ वृन्दावन'

वृन्दावन की सड़कों पर बेसहारा वृद्ध महिलाओं को रेस्क्यू कर उन्हें रहने के लिए घर, पेट भरने के लिए खाना और जीवन यापन का सहारा देती हैं 60 वर्षीय लक्ष्मी गौतम। सड़क पर पड़े-पड़े ही अपने प्राण त्याग देने वालीं माताओं का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार भी वह खुद ही करती हैं।

घर से दूर एक पहाड़ी घर - कुंदन होमस्टे 

पत्थर, लकड़ी और मिट्टी से बना यह पारंपरिक हिमाचली होमस्टे कुंदन सिंह का है। वैसे तो यह उनके पूर्वजों का घर है, लेकिन आज अपनी मेहनत और मेहमान नवाज़ी से कुंदन, उनकी पत्नी और उनके तीन बच्चे, यानी पूरा परिवार इसे बखूबी चला रहे हैं। वे यहाँ देश-विदेश से आने वाले टूरिस्ट्स का स्वागत करते हैं और उन्हें अपने परिवार का ही हिस्सा बना लेते हैं।

आर्मी कपल जिन्होंने बंजर ज़मीन पर बना दिया हरा-भरा होमस्टे

जहाँ कभी केवल कांटें उगते थे, उस ज़मीन पर आज बसा है हरियाली से घिरा देवरा होमस्टे! यह नतीजा है दिल्ली के रहने वाले मेजर दुर्गा दास और उनकी पत्नी ज्योति जसोल की मेहनत और जज़्बे का। 1994 में इस कपल ने अपने सपने को जीने का फैसला किया और आज वे देश-विदेश से आने वाले कई मेहमानों का अपने यहाँ स्वागत करते हैं; उन्हें हेरिटेज कुकिंग सिखाते हैं। इसके अलावा मेहमानों को बर्ड वॉचिंग, विलेज टूर जैसे कमाल के अनुभव कराते हैं।

इंटरनेट से सीखकर उगा रहे हैं लाखों का केसर

By प्रीति टौंक

देश के मशरूम कैपिटल सोलन में केसर उगाकर, एक नए रोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं 36 साल के गौरव सभरवाल। एक जूते बेचने बेचने वाले से किसान बनने की कहानी आपको जरूर रोचक लगेगी।

किन्नरों का स्कूल गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ा रहा

By प्रीति टौंक

किन्नर होने की वजह से सुमी को 14 साल की छोटी उम्र में घर छोड़ना पड़ा, पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उनकी जिंदगी स्टेशन पर संघर्ष और शोषण का सामना करते हुए बीती, लेकिन आज वही सुमी अपनी जिंदगी के गहरे अंधेरों से लड़कर गरीब बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की रोशनी ला रही हैं।

मजदूर माँ की बेटी बिना कोचिंग के बनी IAS दिव्या तंवर

By प्रीति टौंक

IAS दिव्या तंवर की मजदुर माँ को कभी यह मालूम ही नहीं था कि बेटी UPSC की तैयारी कर रही है। वह तो बस यही सोचकर खुश थीं कि बेटी पढ़ाई कर रही है। माँ की मेहनत और घर की गरीबी ही बनी उनकी ताकत, जिसके दम पर उन्होंने बिना कोचिंग के अपने पहले प्रयास में ही UPSC पास करके इतिहास रच दिया।

70 साल की उम्र में आबा ने शुरू किया क्रोशिया बिज़नेस 

By प्रीति टौंक

“कौन नहीं चाहता अपने पैरों पर खड़े होना, अपनी कमाई करना! मैंने वैसे अपनी जिंदगी में बहुत कोशिश की। पर मैं नहीं कर पायी। अभी भी यदि मेरी बहू नहीं होती तो अभी भी ये संभव नहीं था।"-आबा