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कैसे बनाया थर्ड फ्लोर पर असली घास वाला गार्डन?

By प्रीति टौंक

अगर आप छत के ऊपर गमले रखने पर भी लीकेज की चिंता करते हैं तो मिलिए दिल्ली की सोनिया कपूर से जो पिछले 24 सालों से छत पर उगा रही हैं असली घास।

40 सालों से मोरों की जान बचा रहा एक किसान

मध्य प्रदेश के छोटे से गाँव में रहने वाले नारायण सिंह एक किसान हैं और मोर के प्रति उनका प्रेम व कार्य आस-पास के लोगों के लिए एक उदहारण बना हुआ है। घायल पंछियों के इलाज से लेकर, उनकी देखभाल और उन्हें आसरा देने का काम वह बारह साल की उम्र से कर रहे हैं। आइए जानते हैं उनकी यह अद्भुत कहानी..

राजस्थान की गर्मी में मोती उगाकर कमा रहे हैं लाखों

By प्रीति टौंक

राजस्थान की तेज धूप में जहां पीने को पानी नहीं ऐसी जगह अगर विनोद भारती मोती की सफल खेती करके इसे विदेशों तक बेच सकते हैं तो आप भी मोती की खेती से संवार सकते हैंअपना भविष्य।

कोनोहा ईको फार्मस्टे: मिट्टी का बना पारंपरिक कोंकनी घर!

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से दूर पुराने समय से जुड़ना, पारंपरिक मिट्टी के घर में रहना और देसी जीवनशैली का अनुभव करना चाहते हैं, तो अदिति मुजुमदार का 'कोनोहा' ईको स्टे है बिलकुल परफेक्ट!

4 sq ft जगह में 32 पौधे उगाए

By प्रीति टौंक

पौधे उगाने हैं, गार्डन बनाना है, लेकिन उगाएं कैसे? जगह ही नहीं है 😐 ऐसी शिकायतों के लिए दो दोस्तों ने एक ऐसा आविष्कार किया है, जिसकी मदद से आप सिर्फ 4 sq ft जगह में 32 पौधे उगा सकते हैं! खुद ही देख लीजिए!

गोवा में बंजर ज़मीन पर बना हरा-भरा ईको-फ्रेंडली होमस्टे

65 साल के पेंटा फेराओ पेशे से एक वकील हैं; लेकिन पर्यावरण के लिए उनका लगाव ऐसा है कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ गोवा के जंगल में एक बेकार पड़ी ज़मीन पर बना दिया इको-फ्रेंडली विलेज! जो आज प्रकृति का घर है और शहरी लोगों को सस्टेनेबल जीवन के मायने सिखा रहा है।

बेसहारा विधवाओं को सहारा और सम्मान दे रहीं 'ऐंजल ऑफ़ वृन्दावन'

वृन्दावन की सड़कों पर बेसहारा वृद्ध महिलाओं को रेस्क्यू कर उन्हें रहने के लिए घर, पेट भरने के लिए खाना और जीवन यापन का सहारा देती हैं 60 वर्षीय लक्ष्मी गौतम। सड़क पर पड़े-पड़े ही अपने प्राण त्याग देने वालीं माताओं का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार भी वह खुद ही करती हैं।

घर से दूर एक पहाड़ी घर - कुंदन होमस्टे 

पत्थर, लकड़ी और मिट्टी से बना यह पारंपरिक हिमाचली होमस्टे कुंदन सिंह का है। वैसे तो यह उनके पूर्वजों का घर है, लेकिन आज अपनी मेहनत और मेहमान नवाज़ी से कुंदन, उनकी पत्नी और उनके तीन बच्चे, यानी पूरा परिवार इसे बखूबी चला रहे हैं। वे यहाँ देश-विदेश से आने वाले टूरिस्ट्स का स्वागत करते हैं और उन्हें अपने परिवार का ही हिस्सा बना लेते हैं।

आर्मी कपल जिन्होंने बंजर ज़मीन पर बना दिया हरा-भरा होमस्टे

जहाँ कभी केवल कांटें उगते थे, उस ज़मीन पर आज बसा है हरियाली से घिरा देवरा होमस्टे! यह नतीजा है दिल्ली के रहने वाले मेजर दुर्गा दास और उनकी पत्नी ज्योति जसोल की मेहनत और जज़्बे का। 1994 में इस कपल ने अपने सपने को जीने का फैसला किया और आज वे देश-विदेश से आने वाले कई मेहमानों का अपने यहाँ स्वागत करते हैं; उन्हें हेरिटेज कुकिंग सिखाते हैं। इसके अलावा मेहमानों को बर्ड वॉचिंग, विलेज टूर जैसे कमाल के अनुभव कराते हैं।