जयपुर में रहने वाले 45 वर्षीय प्रतीक तिवारी ने MNC की नौकरी छोड़ पोर्टेबल फार्मिंग सिस्टम का बिजनेस शुरू किया है, जिसके तहत वह देश के 25 से अधिक शहरों में 1500 से अधिक घरों को खेती से जोड़ चुके हैं।
टिहरी गढ़वाल के मैड तल्ला गांव में रहने वाले सुंदर लाल चमोली और उनकी पत्नी बिगुला चमोली पिछले 20 सालों से भी ज्यादा समय से पहाड़ों में जैविक तरीकों से खेती कर रहे हैं।
विलियम जब दुबई से नौकरी छोड़ अपने घर वापस लौटे और फलों की खेती शुरू की तो उनके दोस्तों और रिश्तेदारों को यह फैसला अजीब लगा। उन्होंने विलियम को आगे बढ़ने से हमेशा हतोत्साहित किया। लेकिन आज विलियम की सफलता ने उन्हें गलत साबित कर दिया है!
आज करीब 80 स्थानीय किसान राकेश महंती से जुड़ कर 50 एकड़ ज़मीन पर काम कर रहे हैं। इन किसानों को हर माह निश्चित वेतन के साथ ही लाभ का 10 प्रतिशत दिया जाता है।
"मैंने अपनी पढ़ाई के दौरान एक विषय पढ़ा था 'एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग' यानी कि 'कृषि अभियांत्रिकी' और मुझे उस विषय में बहुत दिलचस्पी रहती थी। इसलिए, जब मुझे मशीन नहीं मिली तो मैंने सोचा कि क्यों न अपने अनुभव को इस्तेमाल करके किसानों की ज़रूरत के हिसाब से मशीन तैयार की जाए।"
इस किसान ने अपनी बुद्धिमत्ता से साल-दर-साल सौंफ के अच्छे बीज का चयन करते हुए आबू क्षेत्र की सौंफ में एक नई किस्म जोड़ दी, जिसे आज ‘आबू सौंफ 440’ नाम की एक श्रेष्ठ किस्म के रूप में जाना जाता है।