मिलिए राजस्थान के रहने वाले राजेश ओझा से, जिन्होंने शहरी जीवन छोड़कर गांव में रहकर ही खड़ा किया शानदार रोजगार। जिसके ज़रिए आज वह कचरे में जा रहे फलों को बचाने के साथ-साथ गांव की 1200 महिलाओं को रोजगार भी दे पा रहे हैं।
जयपुर की अनुपमा तिवाड़ी, पिछले 12 साल से पौधे लगा रही हैं। अब तक उन्होंने 15000 से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए हैं। उनके जीवन का लक्ष्य एक लाख पेड़-पौधे लगाना है।
जयपुर, राजस्थान के रहने वाले 25 वर्षीय अनिल थडानी ने कृषि विषय में पढ़ाई की है और उन्होंने अपने घर की छत से नर्सरी का काम शुरू किया, जिसके तहत आज वह 20 से ज्यादा लोगों के घरों में हाइड्रोपोनिक, वर्टिकल और टेरेस गार्डन लगा चुके हैं और लगभग ढाई हजार किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग दे रहे हैं।
जयपुर, राजस्थान की रहने वालीं शिक्षिका अन्नू कँवर, पिछले दो सालों से मशरूम उगाकर ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं। लेकिन कोरोना माहमारी के चलते जब बाजार बंद हो गया तो, उन्होंने मशरूम से पाउडर, अचार और नमकीन जैसे उत्पाद बनाकर खुद का ब्रांड, आमल्दा ऑर्गेनिक्स शुरू किया।
जयपुर में रहने वाली नीरजा पालीसेट्टी ने पेपर वीविंग की प्राचीन जापानी तकनीक को भारतीय संस्कृति से जोड़कर अपने स्टार्टअप 'सूत्रकार क्रिएशन्स' की नींव रखी!
आदर्श सिंह अपने गार्डन में तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट भी करते हैं जैसे उन्होंने खुद सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम बनाया और अब वह सहफसली करके भी सब्जियां उगाते हैं!