विकलांग पशुओं को फिर से पैरों पर खड़ा कर रहे डॉ. तपेश माथुर

 ''पैर काट देने के बाद भी पशु जीवित रहते हैं, लेकिन कई मामलों में कृत्रिम अंग लगाने से उनके लिए चीजें आसान हो जाती हैं।’’

– डॉ. तपेश माथुर

साल 2014 में जयपुर के हिंगोनिया गौशाला में पशुओं की मौत के मामले बढ़ने के बाद डॉ. तपेश माथुर को वहां तैनात किया गया।

Rajasthan

प्लास्टिक खा चुकी गायों की मदद के लिए डॉ. माथुर रोजाना कम से कम एक सर्जरी करने लगे।

Prosthetic Organ

इस दौरान माथुर को किसी हादसे में अपने पैर खो चुकी गायों के लिए कृत्रिम अंग लगाने की जरूरत महसूस हुई।

माथुर ने जल्द ही ‘कृष्णा लिंब’ नाम से पशुओं के लिए कृत्रिम अंग बनाना शुरू कर दिया।

वह अब तक देश भर में 160 कृत्रिम अंग मुहैया करा चुके हैं, जिसमें अधिकतर मुफ्त में लगाए गए।

 सांचे का नाप लेने से कृत्रिम अंग को लगाने और पशुओं को उनके पैरों पर खड़ा करने तक इस काम के लिए उन्होंने 16 राज्यों  की यात्रा की।

Handheld Sign

गायों को नया जीवन देने के बाद, माथुर इन दिनों जोधपुर के पास एक ऊंट के पिछले पैर के लिए कृत्रिम अंग के काम में जुटे हैं।

डॉ. तपेश की इस कोशिश को हमारा सलाम!