क्या आप भी रोज़ 5 रुपये का बिस्किट का पैकेट खरीदकर कुत्तों को खिलाने जाते हैं। अगर हाँ, तो यह कहानी शायद आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। कुछ साल पहले जयपुर के गजराज सिंह ने सुबह-सुबह एक इंसान को चाय की दुकान से बिस्किट का पैकेट खरीदकर पास में खड़े कुत्ते को खिलाते देखा, जैसे ही वह इंसान जाने लगा गजराज ने उन्हें रोक कर कहा कि इन बिस्किट में आटा और चीनी के सिवाय कुछ नहीं होता। इनसे इन बेजुबानों की भूख जरूर मिटती होगी लेकिन पोषण नहीं मिल पाता।
तो उस अनजान इंसान ने जवाब दिया कि 5 रुपये खर्च करके मैं बस यही खरीद सकता हूँ। जानवरों से विशेष लगाव रखने वाले गजराज को इस बात ने सोचने को मजबूर कर दिया। गजराज जयपुर शहर में एक रेस्टोरेंट चलाते हैं, जहां से रोज थोड़ा-बहुत खाना बच जाया करता था या वेस्ट में जाता था।
गजराज ने वेस्ट खाने को कचरे में फेकने के बजाय, इसका सही इस्तेमाल करने का फैसला किया। उन्होंने बचे हुए चावल या रोटी के साथ अंडा, पनीर, सोया जैसी चीजे मिलाकर 400 ग्राम के छोटे-छोटे पैकेट्स बनाना शुरू किया। और इस तरह शुरू हुई ‘बेजुबानों की रसोई’।
हर दिन 3000 बेजुबानों को मिल रहा पौष्टिक खाना
गजराज ने इन पैकेट्स को बेचने के लिए बेजुबानों की रसोई नाम से शहर में एक स्टॉल भी शुरू किया। जहाँ से लोग महज 5 रुपये में बिस्टिक की जगह खाने के पैकेट खरीद सकते हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनके जैसे कई लोग जो नियमित रूप से कुत्तों को खिलाने के लिए उनके पास से खाना लेने आते हैं। जिसकी सबसे अच्छी बात यह है कि यह एक फ्रेश पौष्टिक आहार है।
इस तरह आज शहर के 3000 बेसहारा कुत्तों तक बेजुबानों की रसोई से खाना पहुंच पा रहा है वह भी सिर्फ 5 रुपये खर्च करके।
सच, गजराज का यह आईडिया अगर देश के हर शहर और रेस्टोरेंट अपनाएं तो कितने भूखे जानवरों की मदद हो पाएगी।
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