केमिकल इंजीनियर अक्षय श्रीवास्तव ने चार साल के रिसर्च के बाद एक ऐसी खाद बनाई है जिसमें नौ पोषक तत्व हैं। ये खाद खेती का खर्च आधा कर देती है। पढ़ें कैसे?
किराना से लेकर फलवाले तक सभी के लिए प्रवीण, सम्मुख और सत्यम् ने देश का पहला स्मार्ट कैलकुलेटर बनाया है, जो दुकानदारों के समय और पैसे दोनों बचाता है, क्योंकि यह हिसाब करने के साथ-साथ उनका डाटा सेव भी करता है।
साल 2016 में अपने एक दोस्त को हार्ट अटैक से खोने के बाद, देहरादून के रजत जैन ने अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर 'स्पंदन' नाम का एक ऐसा डिवाइस तैयार किया, जो बिना हॉस्पिटल गए मिनटों में दिल का हाल बता देता है।
उदयपुर, राजस्थान के शेर खान ने एक ऐसा 3-In-1 चूल्हा बनाया है, जिसमें 25 लोगों का खाना महज़ 30 मिनट में बन जाता है। इसमें लकड़ियां भी कम लगती हैं और धुआं भी नहीं होता।
गुजरात के बनासकांठा के रहने वाले धवल और जयेश नाई ने गांव में रहकर एक ऐसी अनोखी मशीन बनाई, जो चाय की टपरी पर एक साथ 15 ग्लास साफ कर सकती है। उनका आविष्कार शार्क टैंक इंडिया के मंच के ज़रिए आज देश भर में छा गया है।
मिलिए, वडोदरा के रेनाश देसाई से जो शहर के सबसे छोटे बिज़नेसमैन हैं। महज 10 साल की उम्र से उन्होंने Enso shoes नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया। वह हाइड्रोडीप तरीके से स्टाइलिश जूते बनाकर बेचते हैं और अपनी कमाई का 40 प्रतिशत हिस्सा जरूरतमंदों को देते हैं।
असम के सीरियल इनोवेटर कनक गोगोई का बनाया छोटा और किफायती ट्रैक्टर, किसानों की मदद करने के साथ-साथ, बेरोज़गार युवाओं को खेती से जोड़ने के लिए काफी उपयोगी है। कनक को उनकी ग्रेविटी ऑपरेटेड साइकिल के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है।
भारतीय रेलवे की ट्रेनों में और स्टेशनों पर स्वच्छता की योजना को नए स्तर पर ले जाने वाले फेडरिक पैरियथ ने न केवल अपनी नौकरी की, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियां भी बखूबी निभाईं। उन्हीं के कारण अहमदाबाद रेलवे स्टेशन का कायाकल्प हो सका और आज यह कई सस्टेनेबल तरीक़ों से काम करता है।
गोवा के रहने वाले 44 वर्षीय बिपिन कदम भले ही केवल 10वीं पास हैं, लेकिन मशीनों से उन्हें इतना लगाव है, जितना शायद किसी इंजीनियर को भी न हो। उन्होंने अपनी दिव्यांग बेटी के लिए खुद की सूझ-बूझ से एक ‘माँ रोबोट’ बनाया है। जानिए कैसे और क्या-क्या काम करती है यह मशीन।