दिव्यांग बेटी को खाना खिलाने के लिए दसवीं पास पिता ने बनाया ‘माँ रोबोट’

maa robot

गोवा के रहने वाले 44 वर्षीय बिपिन कदम भले ही केवल 10वीं पास हैं, लेकिन मशीनों से उन्हें इतना लगाव है, जितना शायद किसी इंजीनियर को भी न हो। उन्होंने अपनी दिव्यांग बेटी के लिए खुद की सूझ-बूझ से एक ‘माँ रोबोट’ बनाया है। जानिए कैसे और क्या-क्या काम करती है यह मशीन।

‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।’ गोवा के 44 वर्षीय बिपिन कदम का बनाया एक रोबोट इस बात का सच्चा उदाहरण है। उन्होंने तीन साल पहले अपने ज्ञान का इस्तेमाल करके एक ऐसा रोबोट बनाया, जो उनके परिवार के लिए वरदान बन गया है। बिपिन गोवा की एक मशीन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में काम करते हैं और मशीनों से उन्हें बेहद लगाव भी है। उनका बनाया ‘माँ रोबोट’ इस बात का सबूत है कि किसी काम को करने के लिए बड़ी डिग्री या साधन के बजाय, उसे करने की इच्छा सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।  

यह एक ऐसी मशीन है, जो आपके इशारे पर आपको चम्मच से खाना खिला सकती है। यानी जो दिव्यांग हैं, वह इस मशीन के इस्तेमाल से आत्मनिर्भर बन सकते हैं। बिपिन ने मात्र 12 हज़ार ख़र्च करके इस मशीन को अपने घर पर ही बनाया है।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “जब पूरी दुनिया आत्मनिर्भर होने के बारे में बात करती, तब मुझे लगता था कि मेरी बेटी जो दिव्यांग है, वह खाने के लिए भी किसी पर निर्भर क्यों रहे। उसकी इसी लाचारी ने मुझे यह रोबोट बनाने के लिए प्रेरित किया।”

अत्याधुनिक तकनीक से बनाया गए इस रोबोट को देखकर कोई नहीं कह सकता कि बिपिन महज़ दसवीं पास हैं।  

पैसों के आभाव में पढ़ाई छूटी लेकिन सीखना नहीं 

बिपिन मूल रूप से महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता गाँव में खेती करते हैं। दसवीं पास करने के बाद पैसों की कमी की वजह से वह आगे पढ़ नहीं पाए।  इसके बाद वह गोवा की एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में काम करने आ गए। वह कहते हैं, “जैसे ही पढ़ाई छूटी वैसे ही मैं मशीनों से चिपक गया। ऐसा कह सकते हैं कि मैं मशीनों के जंगल में रहता हूँ।” 

Bipin Kadam while Receiving  one Award
Bipin Kadam while Receiving one Award

उन्होंने एक हेल्पर के तौर पर काम करने की शुरुआत की थी; लेकिन अपने हुनर के दम पर जल्दी ही सफलता हासिल कर ली। आज वह सीएनसी प्रोग्रामर और 3डी डिज़ाइनर के पद पर काम कर रहे हैं। उनको कंप्यूटर का भी अच्छा ज्ञान है, इसलिए बिपिन जुगाड़ से ज़्यादा आविष्कार में मानते हैं।

वह बताते हैं कि उन्होंने खुद की इच्छाशक्ति और मेहनत से ही हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का ज्ञान हासिल किया है। उनकी कंपनी के इंजीनियर भी 3डी डिज़ाइनिंग और मशीन के बारे में कुछ जानने के लिए उनके पास आते हैं। 

इसके अलावा बिपिन को पेंटिंग करने का भी बहुत शौक़ है। वह बताते हैं, “मैं गणपति के समय बेहद सुंदर पंडाल डिज़ाइन करता हूँ।  मैं हमेशा कुछ अलग हटकर करने की कोशिश करता हूँ। मेरे दिमाग में कई आईडियाज़ चलते रहते हैं। कुछ चीज़ें मैं कर पाता हूँ, और कुछ पैसों के आभाव में नहीं कर पाता।”

कैसे आया ‘माँ रोबोट’ बनाने का ख़्याल

बिपिन के दिमाग में हमेशा मशीन और डिज़ाइनिंग चलती रहती हैं। वह अकेले ही किसी मशीन को बनाने के योग्य हैं। उनका सपना है कि वह दुनिया का सबसे बड़ा रोबोट बनाएं। इसकी डिज़ाइनिंग के साथ-साथ हार्डवेयर के बारे में भी वह रिसर्च करते रहते हैं।  

इसी दौरान उनका ध्यान अपने घर की एक समस्या पर पड़ा। दरअसल उनकी बड़ी बेटी प्राजक्ता 17 साल की हैं, लेकिन दिव्यांग होने की वजह से उनका दिमाग एक दो साल के बच्चे जैसा है। प्राजक्ता को खाने से लेकर अपने रोज़ के कामों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। बिपिन ने जब देखा कि कभी-कभी उनकी पत्नी प्रेरणा अपने काम के कारण प्राजक्ता को समय पर खाना नहीं खिला पाती, तब उन्हें लगा कि क्यों न अपने ज्ञान का इस्तेमाल अपनी बेटी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जाए। 

Ma-Robot Innovation by bipin kadam
Ma-Robot

उन्होंने 2019 में अपनी नौकरी के बाद, घर आकर इसे बनाने का काम शुरू किया। वह बताते हैं, “इंटरनेट के ज़रिए मैंने जानकारियां इकट्ठा करनी शुरू कीं। हालांकि मशीन और डिज़ाइन का ज्ञान तो मुझे है ही लेकिन जो भी मुझे नहीं पता होता है, उसके लिए मैं इंटरनेट की मदद लेता हूँ। अपनी 12 घंटे की ड्यूटी के बाद,  घर आकर मैं रोबोट बनाता था।”

इस तरह मात्र चार महीनों में उन्होंने रोबोट बना दिया और इसे ‘माँ रोबोट’ नाम दिया। फिर वह इसका इस्तेमाल करने लगे।  

कैसे काम करता है ‘माँ रोबोट’?

यह रोबोट, रेकॉर्डेड आवाज़ के ज़रिए काम करता है। इसमें उन्होंने तीन-चार कटोरे और एक चम्मच लगाई है। अलग-अलग खाने के नाम उन्होंने इस रोबोट की मेमोरी में फिट कर दिए हैं। इस तरह जब रोबोट को चावल खिलाने का आदेश दिया जाएगा तो यह चावल लेकर खिलाएगा। इसी तरह बाक़ी की चीज़ें भी रेकॉर्डेड हैं। 

उनका बनाया एक दूसरे किस्म का मॉडल पैरों से बटन के ज़रिए चलता है। इसमें बैठने के लिए एक सीट भी दी गई है। यानी यह रोबोट आपको एहसास कराएगा कि इंसान माँ की गोद में बैठकर खा रहा है।  

 

दिव्यांगजनों के लिए वरदान बन सकता है यह रोबोट

Bipin with his family
Bipin with his family

बिपिन अपने घर में इसे इस्तेमाल कर रहे थे। हालांकि, वह चाहते थे कि  इस माँ रोबोट को वह दुनिया के सामने भी पेश करें; लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे कि कैसे और क्या किया जाए?  तभी उनके किसी दोस्त ने गोवा सरकार के उच्च शिक्षा विभाग में उनके रोबोट की जानकारी दी। बिपिन कहते हैं, “मुझे उच्च शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित एक प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए बुलाया गया। वहां सभी को मेरा काम बेहद पसंद आया।”

इसके बाद लोकल मीडिया ने उनके रोबोट के बारे में लिखा। बिपिन ऐसे और रोबोट दिव्यांगजनों और बुज़ुर्गों के लिए बनाना चाहते हैं, लेकिन उनका कहना है कि वह अकेले यह काम नहीं कर सकते।  अगर कोई संस्था या सरकार उनका साथ दे, और सहयोग करे तो वह ज़रूर ऐसे और रोबोट बनाएंगे।  

हाल में उन्होंने दो माँ रोबोट बनाएं हैं। एक अपने निजी इस्तेमाल के लिए, जो उनके और उनकी बेटी की आवाज़ से चलता है और दूसरा बटन से ऑपरेट होता है। अब तक वह पांच अलग-अलग प्रदर्शनियों में इस रोबोट को प्रस्तुत कर चुके हैं। 

जिस तरह अपने घर की समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने माँ रोबोट बनाया; आशा है आने वाले दिनों में भी बिपिन आम आदमी की समस्या के लिए ऐसी ही मशीनें बनाते रहेंगे। 

आप उनसे इंस्टाग्राम के ज़रिए संपर्क कर सकते हैं।  

संपादन – भावना श्रीवास्तव 

यह भी पढ़ेंः 10वीं पास इलेक्ट्रीशियन का कमाल, कई सुविधाओं वाला हॉस्पिटल बेड बना मरीज़ों के लिए वरदान

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X