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कौन थीं रानी कमलापति, जिनके नाम पर बदला हबीबगंज स्टेशन का नाम

भोपाल में 1979 में बने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम हाल ही में बदलकर, रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया। पर, कौन थीं रानी कमलापति? पढ़िए उनकी पूरी कहानी!

जगदीश चंद्र बोस: जानिए क्यों नोबेल जीतने से चूक गए यह महान वैज्ञानिक

जगदीश चंद्र बोस के पिता ब्रिटिश सरकार में एक बड़े अधिकारी थे। फिर भी, उन्होंने बेटे को एक बांग्ला स्कूल में भेजा। यहां बोस किसानों और मजदूरों के बच्चों के साथ पढ़ते थे, जिससे उनके भीतर प्रकृति के प्रति प्रेम की भावना जागी।

मीराबेन: वह ब्रिटिश महिला, जिन्हें गांधी जी का साथ देने के लिए कई बार जाना पड़ा था जेल

ब्रिटिश महिला ‘मेडेलीन स्लेड’ की ‘मीराबेन’ बनने की अनकही कहानी, जानिए यहां!

झांसी की रानी: क्या आप जानते हैं, अंग्रेज़ों से पहले किनसे लड़ी थीं रानी लक्ष्मीबाई?

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानियां भले ही इसलिए मशहूर हैं, क्योंकि वह अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ी थीं, लेकिन इस वीरांगना ने उससे पहले भी कई ऐसी लड़ाईयां लड़ी थीं, जिनका ज़िक्र उनकी शौर्य गाथाओं में शामिल नहीं है।

महाराजा रणजीत सिंह: ‘शेर-ए-पंजाब’ से कभी टकराने की हिम्मत न कर सके अंग्रेज, जानिए क्यों

महाराजा रणजीत सिंह को एक महायोद्धा के रूप में जाना जाता है। लेकिन, एक बार उन्हें अपने प्यार की खातिर, कोड़े भी खाने पड़े थे। पढ़ें पूरी कहानी।

कूलर की घास में ऐसा क्या है खास, जिसे मुग़लों ने भी माना और फिजी जैसे देश ने भी अपनाया

कूलर की जिस घास को आप आम समझते हैं, दरअसल वह बड़ी खास है। मुगलों के ज़माने से इसे प्राक़तिक रूप से ठंडक और खुशबू के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।

Rooh Afza: जिसने आज़ादी की सुबह भी देखी और तीन देशों का बंटवारा भी

By प्रीति टौंक

गर्मी के मौसम में जो चीज़ आपको हर भारतीय घर में मिल जाएगी, वह है रूह अफ़ज़ा (Rooh Afza)। आइए जानते है इसकी कहानी।

पश्चिम को भारतीय शौचालयों की सीख देकर, अमेरिकी कंपनी ने खड़ा किया 175 मिलियन डॉलर बिज़नेस

अमेरिका स्थित ‘स्क्वैटी पॉटी’ का आज 175 मिलियन डॉलर का बिजनेस है। क्या आप जानते हैं कि यह भारत की ही हजारों साल पुरानी तकनीक है? पढ़िए भारतीय शैली के शौचालयों का एक रोचक इतिहास!

कहानी खादी की: हजारों वर्षों की वह परंपरा, जिसने तय किया सभ्यता से फैशन तक का सफर

भारतीय समाज में खादी का इस्तेमाल सभ्यता के आरंभ से ही रहा है। इसने आजादी की लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही कारण है कि खादी केवल कोई कपड़ा नहीं, बल्कि एक विचार है।

भारत की ऐतिहासिक विरासत को संभाल, बाँस व मिट्टी से मॉडर्न घर बनाता है यह आर्किटेक्ट

“आज हम अपनी आधी से अधिक ऐतिहासिक विरासतों को खो चुके हैं और एक आर्किटेक्ट होने के नाते, इसे पुर्नजीवित करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।“- अजीत अंदागेरे