अहमदाबाद की पायल पाठक अपने बेटे सोहम के साथ मिलकर हेल्दी सलाद का बिज़नेस चलाती हैं। घर की रसोई से शुरू हुआ उनका यह बिज़नेस शार्क टैंक इंडिया के मंच पर पहुंचकर तीन सौ गुना बढ़ गया।
गोरखपुर के रत्नेश तिवारी आज खुद की एक कंपनी चलाने के साथ-साथ, ज़रूरतमंद बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए भी काम कर रहे हैं। वह अब तक 300 से ज़्यादा बच्चों को स्कूल तक पहुंचा चुके हैं।
90 साल की उम्र में भी लक्ष्मी अम्मल, मेहनत करने से नहीं डरतीं। उन्होंने अपनी 72 साल की बेटी के साथ मिलकर पिछले साल ही चेन्नई के पास 'वक्साना फार्म स्टे' की शुरुआत की है।
मिलिए राजकोट की संगीता हरेश शाह से, जिनके नेक काम के कारण आज शहर के कई ज़रूरतमंद मरीजों को फ्री में एम्बुलेंस सेवा मिल रही है। पढ़ें उनकी कहानी और जानिए क्यों और कैसे हुई इस काम की शुरुआत।
एक गरीब माँ को अपने दिव्यांग बच्चे के साथ देखकर, आगरा के अनिल जोसेफ को ऐसे और बच्चों की मदद करने का ख्याल आया। उन्होंने ऐसे गरीब और बेसहारा दिव्यांग बच्चों के लिए एक एनजीओ शुरू करके एक शेल्टर होम बनाया, जो आज 75 विशेष बच्चों का घर बन चुका है।
गोरखपुर की रहने वाली यशी कुमारी के पिता ऑटो ड्राइवर हैं और यशी को बचपन से सेलेब्रल पाल्सी जैसी गंभीर बीमारी थी। लेकिन इन सब मुश्किलों से लड़कर उन्होंने पहले ही प्रयास में नीट के ज़रिए एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया।
हमारे भोजन में स्वाद और रंग लाने के अलावा, हल्दी का उपयोग इसके औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है। इम्युनिटी बढ़ाने से लेकर डैंड्रफ से लड़ने तक, उठा सकते हैं इसके कई सारे फ़ायदे।
घरेलू काम करते हुए बिहार की रश्मि कुमारी ने एक दिन सरकारी परीक्षा देने की सोची और अपने बच्चों के साथ पढ़ाई करके बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा पास कर ली। है न कमाल की बात!
मिलिए बिसलपुर के रहने वाले काना राम मेवाड़ा से, जो एक चाय की दुकान चलाने के साथ अपने गांव को प्लास्टिक फ्री भी बना रहे हैं। पढ़ें, उनकी स्पेशल मुहिम के बारे में, जिसके कारण आज हजारों किलो प्लास्टिक लैंडफिल में जाने से बच गया।