मिलिए राजस्थान के रहने वाले राजेश ओझा से, जिन्होंने शहरी जीवन छोड़कर गांव में रहकर ही खड़ा किया शानदार रोजगार। जिसके ज़रिए आज वह कचरे में जा रहे फलों को बचाने के साथ-साथ गांव की 1200 महिलाओं को रोजगार भी दे पा रहे हैं।
आज़ादी के समय हमारे देश में स्कूलों की संख्या महज एक लाख के करीब थी, जो अब बढ़कर 15 लाख से ज्यादा हो गई है। शिक्षा ही नहीं स्वास्थ्य, सड़क और व्यापर के क्षेत्र में भी देश ने खूब तरक्की की है, जानिए बीते 76 सालों में आए बदलाव की कहानी।
सिगरेट बट दिखने में जितने छोटे होते हैं, पर्यावरण के लिए उतना ही बड़ा खतरा हैं। इसी खतरे को समझा नमन गुप्ता ने और खोज निकाला इसका बेहतरीन समाधान। जानिए कैसे किया उन्होंने 200 करोड़ सिगरेट बट को रीसायकल।
केमिकल इंजीनियर अक्षय श्रीवास्तव ने चार साल के रिसर्च के बाद एक ऐसी खाद बनाई है जिसमें नौ पोषक तत्व हैं। ये खाद खेती का खर्च आधा कर देती है। पढ़ें कैसे?
उत्तराखंड की काकुली विश्वास पिछले दो सालों से दिल्ली में एक फ़ूड स्टॉल चला रही हैं, ताकि अपने एक दिव्यांग बेटे और दो बेटियों को पढ़ा-लिखाकर आत्मनिर्भर बना सकें।
ओडिशा के पद्म श्री डी प्रकाश राव ने ज़रूरतमंद बच्चों के लिए जिस स्कूल को शुरू किया था, आज उनके जाने के बाद, उनकी बेटी ने विदेश की नौकरी छोड़कर इसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उठाई है। उनके इस नेक काम में आप भी उनका साथ दे सकते हैं!
दिल्ली की श्री श्याम रसोई में हर दिन हजारों ज़रूरतमंदों को सिर्फ 1 रुपये में भर पेट खाना मिलता है। इस रसोई को शुरू करने के लिए प्रवीण गोयल ने अपने जीवन की सारी जमा पूंजी लगा दी।