200 करोड़ सिगरेट बट रीसायकल करके इन्होंने बनाए खिलौने और पेपर

Cigarette butt recycle

सिगरेट बट दिखने में जितने छोटे होते हैं, पर्यावरण के लिए उतना ही बड़ा खतरा हैं। इसी खतरे को समझा नमन गुप्ता ने और खोज निकाला इसका बेहतरीन समाधान। जानिए कैसे किया उन्होंने 200 करोड़ सिगरेट बट को रीसायकल।

भारत में हर साल लगभग 10 हजार करोड़ मतलब 100 Billion सिगरेट बट फेंके जाते हैं। जिसका वजन 26000 टन से भी ज़्यादा होता है। इतना ही नहीं छोटी सी दिखने वाली यह बट पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा है लेकिन बहुत ही कम लोग इसके बारे में जानते हैं।  

भारत में सिगरेट बट को रीसायकल करने के लिए बेहद कम प्रयास किए गए हैं। साल 2018 तक हमारे देश में कोई कंपनी नहीं थी जो सिगरेट के कचरे के लिए काम कर रही थी। नोएडा के नमन गुप्ता ने न सिर्फ इस दिक्कत को समझा बल्कि इसका एक सस्टेनेबल उपाय भी खोज निकाला।  दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के दौरान नमन ने सिगरेट वेस्ट की समस्या पर काम करने का फैसला किया था।  

ग्रेजुएशन खत्म होते ही उन्होंने इसपर काम करना शुरू कर दिया। करीब सात महीने की रिसर्च के बाद नमन ने एक ऐसा सॉल्यूशन तैयार कर लिया जिससे सिगरेट बट को पूरी तरह इस्तेमाल करके, उसे रीसायकल किया जा सकता था। साथ ही उन्होंने उनकी कंपनी Code Effort के ज़रिए ज़्यादा से ज़्यादा जागरूकता लाने पर भी जोर दिया।  

देश की पहली सिगरेट बट रीसायकल कंपनी

इस तरह वह सिगरेट के कचरे को रीसायकल करने वाली देश की पहली कंपनी बन गए। धीरे-धीरे उन्होंने कूड़ा बीनने वालों को अपने साथ जोड़ना शुरू किया। उन्होंने रीसायकल के लिए भी अलग-अलग तकनीकों पर खूब रिसर्च की।  

उनके इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि आज वह देशभर के 2000 से ज़्यादा कूड़ा बीनने वालों के साथ जुड़कर काम कर रहे हैं। नमन अपने काम के ज़रिए हर महीने कई टन सिगरेट बट रीसायकल कर रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि अब तक वह 200 करोड़ सिगरेट बट रीसायकल करके  5000 करोड़ लीटर पानी को दूषित होने से बचा चुके हैं।  उनकी कंपनी, सिगरेट बट रीसायकल करके उससे कम्पोस्ट, हैंडमेड पेपर, टॉयज और कुशन फिलिंग जैसे कई प्रोडक्ट्स बनाने का काम कर रही है।

अगर आप सिगरेट बट से बनें इन सस्टेनेबल प्रोडक्ट्स के बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं तो उन्हें इंस्टाग्राम या Code effort की वेबसाइट पर सम्पर्क कर सकते हैं।

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