देश के मशरूम कैपिटल सोलन में केसर उगाकर, एक नए रोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं 36 साल के गौरव सभरवाल। एक जूते बेचने बेचने वाले से किसान बनने की कहानी आपको जरूर रोचक लगेगी।
साल 2016 से प्रदीप सांगवान, हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों को प्लास्टिक मुक्त बनाने की मुहिम में लगे हैं। उनकी संस्था 'हीलिंग हिमालय' के वेस्ट कलेक्शन सेंटर में आज हर दिन 5 टन कचरा जमा होता है।
#SustainableTourism को बढ़ावा देते हुए काम करने वाला मनोज शर्मा का स्टार्टअप #NotOnMap, 200 साल पुराने पुश्तैनी घर को Sustainable Homestay में बदलकर भारत के गाँवों की संस्कृति को लोगों तक पहुंचा रहा है।
लगभग 100 साल पुराने हिमाचली काठ कुनी घर को खूबसूरत होमस्टे में बदलकर फरीदाबाद के रहने वाले देवेश जोशी अपने शहरी मेहमानों के बीच सस्टेनेबल लिविंग और ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा दे रहे हैं। यहाँ आने वाले लोग प्रकृति के बीच वक़्त बिताने के अलावा कई अडवेंचरस एक्टिविटीज़ में भी हिस्सा ले सकते हैं।
मनाली से 8 Km दूर कन्याल गांव में बना 'जंगल हट' हिमाचल आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बड़े-बड़े आलिशान और सुविधाजनक होटल छोड़कर लोग इंजीनियर अतुल बोस के इस मिट्टी, पत्थर और लकड़ी से बने होमस्टे में ठहरने आते हैं, जहाँ उन्हें प्रकृति के बीच रहने और सस्टेनेबल लिविंग का अनुभव मिलता है।
हिमाचल के विक्रम रावत ने कलासन में 42 बीघा ज़मीन पर बनाया है एक मॉडल फार्म। अभी तक 11 हज़ार किसानों और बागवानों को एडवांस्ड गार्डनिंग की ट्रेनिंग देने के साथ-साथ, वह 5 लाख सेब के पौधे भी बांट चुके हैं। बैंक की नौकरी से बागवानी तक का उनका यह सफ़र काफ़ी दिलचस्प रहा है।
सीमा ठाकुर, हिमाचल राज्य परिवहन निगम की पहली महिला बस ड्राइवर हैं। इन दिनों वह शिमला-चंडीगढ़ रूट पर बस चला रही हैं। इस रूट पर बस चलाकर उन्होंने इंटर स्टेट रूट पर बस दौड़ाने वाली हिमाचल प्रदेश की पहली महिला बस ड्राइवर होने का तमगा भी हासिल किया।
उत्तराखंड में बागेश्वर जिले के सामा गाँव में रहने वाले 72 वर्षीय भवान सिंह, कीवी की खेती और नर्सरी तैयार कर रहे हैं, जिससे वह सालाना 10 लाख रुपए से ज्यादा कमाते हैं।
चंडीगढ़ के तीन दोस्त - विकास सिंगला, अनुज सैनी, और नितिन शर्मा पानी से चलने वाली आटा चक्की यानी घराट की परंपरा को पुनर्जीवित करने और लोगों को इनसे निर्मित ताज़ा आटा खिलाने के मिशन पर हैं।