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59 की उम्र में सीखी स्विमिंग, जीते 500 से ज़्यादा मेडल्स

सूरत की रहने वालीं 80 साल की बकुलाबेन पटेल तैराकी में 500 से भी ज़्यादा मेडल और ट्रॉफी जीत चुकी हैं। इसके अलावा वह भरतनाट्यम में MA कर रही हैं और इसे परफॉर्म करने वालीं सबसे उम्रदराज़ महिला बन, लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। ये सब उन्होंने 58 की उम्र से करना शुरू किया, इसके पहले वह एक आम गृहिणी थीं।

Rann Of Kutch का यह मिट्टी से बना होमस्टे देता है एकदम देसी अनुभव

कच्छ के रण उत्सव में चार चाँद लगाता यह है Hodka Rann Stay. इसे बनाया है गुजराती भाई भीमजी खोयला ने, जो खुद कलाकारों के परिवार से आते हैं और सस्टेनेबिलिटी व संस्कृति को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।

ICU में भी ड्राइंग करती थीं मानसी, अपने हुनर से हराया हर मुश्किल को

By प्रीति टौंक

अहमदाबाद की मानसी सदिरा ऑनलाइन एक से बढ़कर एक ड्राइंग और स्कैच बनाकर बेचती हैं। उनकी कला देखकर कोई विश्वास नहीं करेगा कि वह सांस लेने के लिए भी एक मशीन पर निर्भर हैं।

500 बुजुर्गों का ख्याल रखने वाला बेटा, पिता की याद में चला रहा फ्री टिफिन सर्विस

By प्रीति टौंक

खेड़ा, गुजरात के रहनेवाले राकेश पंचाल पिछले पांच सालों से अपने शहर के सैकड़ों जरूरतमंद बुजुर्गों की सेवा कर रहे हैं, अपने फ्री टिफिन सर्विस के ज़रिए।

25 साल की मेहनत से इस दम्पति ने उगाएं 6000 पौधे, बचाए सैकड़ों पक्षी

By प्रीति टौंक

मिलिए, गुजरात के शंखेश्वर इलाके के धनोरा गांव में रहनेवाले बुजुर्ग दम्पति दिनेश चंद्र और देविंद्रा ठाकर से, जिन्होंने अपने रिटायरमेंट होम को बनाया कुदरत का घर।

भारतीय ब्लॉक-प्रिंटिंग को पहुंचाया दुनिया के कोने-कोने तक, सालाना कमा रहीं 1.5 करोड़ रुपये

By पूजा दास

गुजरात की रहनेवाली शिपा ने अपने पति हार्दिक पटेल और भाई-बहनों के साथ छापा नाम से एक सस्टेनेबल क्लोदिंग और एसेसरी ब्रांड शुरू किया है। शिपा का लक्ष्य हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग को पुनर्जीवित करना है।

मगरमच्छ 'गंगाराम' के साथ बच्चे भी करते थे स्विमिंग, जाने इस अनोखे गाँव की कहानी

By पूजा दास

छत्तीसगढ़ के बावा मोहतारा गांव में गंगाराम नाम के एक मगरमच्छ, को समर्पित करते हुए एक अनोखा स्मारक बनाया गया है। गंगाराम की कहानी मानव-पशु के सह-अस्तित्व के लिए एक आशा की किरण है।

हादसे में खो दिए हाथ लेकिन हौसला रहा बुलंद! 10वीं तक पढ़, कई गरीब बच्चों को कर रहे शिक्षित

By प्रीति टौंक

बाबू भाई परमार अहमदाबाद की सड़कों पर रहनेवाले बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि नौ साल की उम्र में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए थे, लेकिन पढ़ने के अपने शौक के कारण, उन्होंने अपने आप को तो शिक्षित किया ही अब दूसरों को भी पढ़ा रहे हैं।

कोरोना में बंद हुआ कोर्ट, तो कार में ही सोलर पैनल लगाकर खोल लिया ऑफिस

By प्रीति टौंक

गुजरात के आनंद सदाव्रती और उनकी पत्नी अवनी बेन राजकोट में एक चलता-फिरता ऑफिस चलाते हैं। इस ऑफिस में प्रिंटर और ज़ेरॉक्स मशीन जैसी कई सुविधाएं हैं, जो सोलर एनर्जी से चल रही हैं।

किसान ने बनाया बेहतरीन ईको-टूरिज्म, जहां जैविक खेती और हस्तकला की दी जाती है मुफ्त तालीम

By प्रीति टौंक

साल 2001 से जैविक खेती कर रहे कच्छ के मनोज सोलंकी, अपने ट्रस्ट के जरिए गांव वालों को सस्टेनेबल व्यवसाय के तरीके भी सीखा रहे हैं। इसी प्रयास की आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने ईको-टूरिज्म की भी शुरुआत की है।