सूरत की रहने वालीं 80 साल की बकुलाबेन पटेल तैराकी में 500 से भी ज़्यादा मेडल और ट्रॉफी जीत चुकी हैं। इसके अलावा वह भरतनाट्यम में MA कर रही हैं और इसे परफॉर्म करने वालीं सबसे उम्रदराज़ महिला बन, लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। ये सब उन्होंने 58 की उम्र से करना शुरू किया, इसके पहले वह एक आम गृहिणी थीं।
कच्छ के रण उत्सव में चार चाँद लगाता यह है Hodka Rann Stay. इसे बनाया है गुजराती भाई भीमजी खोयला ने, जो खुद कलाकारों के परिवार से आते हैं और सस्टेनेबिलिटी व संस्कृति को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।
अहमदाबाद की मानसी सदिरा ऑनलाइन एक से बढ़कर एक ड्राइंग और स्कैच बनाकर बेचती हैं। उनकी कला देखकर कोई विश्वास नहीं करेगा कि वह सांस लेने के लिए भी एक मशीन पर निर्भर हैं।
मिलिए, गुजरात के शंखेश्वर इलाके के धनोरा गांव में रहनेवाले बुजुर्ग दम्पति दिनेश चंद्र और देविंद्रा ठाकर से, जिन्होंने अपने रिटायरमेंट होम को बनाया कुदरत का घर।
गुजरात की रहनेवाली शिपा ने अपने पति हार्दिक पटेल और भाई-बहनों के साथ छापा नाम से एक सस्टेनेबल क्लोदिंग और एसेसरी ब्रांड शुरू किया है। शिपा का लक्ष्य हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग को पुनर्जीवित करना है।
छत्तीसगढ़ के बावा मोहतारा गांव में गंगाराम नाम के एक मगरमच्छ, को समर्पित करते हुए एक अनोखा स्मारक बनाया गया है। गंगाराम की कहानी मानव-पशु के सह-अस्तित्व के लिए एक आशा की किरण है।
बाबू भाई परमार अहमदाबाद की सड़कों पर रहनेवाले बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि नौ साल की उम्र में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए थे, लेकिन पढ़ने के अपने शौक के कारण, उन्होंने अपने आप को तो शिक्षित किया ही अब दूसरों को भी पढ़ा रहे हैं।
गुजरात के आनंद सदाव्रती और उनकी पत्नी अवनी बेन राजकोट में एक चलता-फिरता ऑफिस चलाते हैं। इस ऑफिस में प्रिंटर और ज़ेरॉक्स मशीन जैसी कई सुविधाएं हैं, जो सोलर एनर्जी से चल रही हैं।
साल 2001 से जैविक खेती कर रहे कच्छ के मनोज सोलंकी, अपने ट्रस्ट के जरिए गांव वालों को सस्टेनेबल व्यवसाय के तरीके भी सीखा रहे हैं। इसी प्रयास की आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने ईको-टूरिज्म की भी शुरुआत की है।