कभी मज़दूरी करने वाली गोरखपुर की कोइला देवी आज एक सफल महिला किसान बन चुकी हैं। बाक़ी किसानों को खेती की बारीकियां समझती हैं और अन्य महिलाओं की भी मदद कर रही हैं।
हरियाणा के इस साधारण किसान ने एक ऐसा फ़ैसला लिया, जिसने उनकी ज़िंदगी बदल दी। बेबी कॉर्न के बादशाह माने जाने वाले कंवल सिंह को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
पंजाब के फिरोजपुर के रहने वाले कमलजीत सिंह हेयर के परिवार में हुई कुछ घटनाओं ने उन्हें बैचेन कर दिया। इससे उन्हें वकालत छोड़, प्राकृतिक खेती अपनाने की प्रेरणा मिली। आज उन्होंने अपने 20 एकड़ जमीन को खेती के एक ऐसे मॉडल के रूप में विकसित किया है, जो हर किसान के लिए आदर्श है।
राजस्थान के बीकानेर जिले के देसली के रहने वाले रवि बिश्ननोई 2006 से मुख्यधारा की मीडिया में रिपोर्टिंग कर रहे थे। लेकिन, 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़ खेती की राह चुनी।
पंजाब के 65 वर्षीय प्रेमचंद पिछले 40 वर्षों से गन्ना (Sugarcane farming), आलू, गेहूं और बीट जैसे फसलों की खेती कर रहे हैं। अपने खेत में वह तीन तरह के गुड़ बनाते हैं, जिससे उन्हें डेढ़ गुना अधिक कमाई हो रही है।
छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) के पातालकोट निवासी, सुकनसी भारती ने अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और पर्यावरण को बचाने के उदेश्य से, पत्तों से कटोरी (दौना) बनाना सीखा। आज वह, आस-पास के गावों और होटलों में अपने दौने बेच रहे हैं।
पहले जहां पारंपरिक खेती से घर का गुजारा मुश्किल से चलता था, वहीं आज अपनी मेहनत और कुछ नए प्रयासों की बदौलत लाखों कमा रहे हैं, महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान तुकाराम गुंजल।
सांगली, महाराष्ट्र के एक किसान, विजय देसाई ने अंगूर की एक नयी नस्ल खोज निकाली है, जो न सिर्फ दिखने में सुन्दर है, बल्कि सामान्य अंगूर की किस्मों से ज्यादा गुणी भी है।
अहमदनगर, महाराष्ट्र के 11 किसानों ने लॉकडाउन के दौरान, ‘KisanKonnect’ नामक कंपनी बनाई, जिसका उद्देश्य मुंबई, पुणे के ग्राहकों को बिना किसी बिचौलिये के सब्जियां बेचना और अधिक मुनाफा कमाना है।
बिहार के समस्तीपुर निवासी किसान, सुधांशु कुमार 200 एकड़ में खेती करते है, जहाँ 35 एकड़ खेत, पूरी तरह से ऑटोमेटेड हैं। उन्होंने अपनी 60 एकड़ जमीन पर, 28 हजार फलों के पेड़ उगाएं हैं। सुधांशु की सालाना कमाई 80 लाख रुपये है।