65 साल के पेंटा फेराओ पेशे से एक वकील हैं; लेकिन पर्यावरण के लिए उनका लगाव ऐसा है कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ गोवा के जंगल में एक बेकार पड़ी ज़मीन पर बना दिया इको-फ्रेंडली विलेज! जो आज प्रकृति का घर है और शहरी लोगों को सस्टेनेबल जीवन के मायने सिखा रहा है।
ज़रा सोचिए आपको आपकी मनपसंद चॉकलेट आईसक्रीम एक ऐसी कटोरी में दी जाए जो चॉकलेट से ही बनी हो या फिर मज़ेदार सूप पीने के लिए एक खाने योग्य मसालेदार चम्मच दी जाए तो कैसा रहेगा?
शुभांगी ने 2012 से अब तक किसी भी प्रकार के महंगे कपड़े और गहने नहीं ख़रीदे हैं। इस विषय पर वह कहती हैं, “मेरी सहेलियाँ जब भी बाज़ार जाती हैं मुझे साथ चलने को कहती हैं लेकिन अब कपड़ो और गहनों का तो मन ही नहीं करता। जो बचत होती है उन्हें सामाजिक कार्यो में लगा देती हूँ।
लगभग सभी आर्किटेक्ट फर्मों के विपरीत, ‘अर्थ बिल्डिंग’ का कहीं भी कोई मुख्यालय या हेड ऑफिस नहीं है। इसके लिए कोई ख़ास शहर निर्धारित नहीं किया गया है बाकि जहां भी प्रोजेक्ट पर काम चल रहा होता है, वे वहां चले जाते हैं।
खनन गतिविधियों से झारखंड के कई जिलों में प्रदूषण, जैव विविधता असंतुलन और बंजर जमीनें बढ़ रही हैं। ऐसे समय में एक पहल ने जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण को बहाल कर एक मिसाल कायम कर दी है।