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गोवा में बंजर ज़मीन पर बना हरा-भरा ईको-फ्रेंडली होमस्टे

65 साल के पेंटा फेराओ पेशे से एक वकील हैं; लेकिन पर्यावरण के लिए उनका लगाव ऐसा है कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ गोवा के जंगल में एक बेकार पड़ी ज़मीन पर बना दिया इको-फ्रेंडली विलेज! जो आज प्रकृति का घर है और शहरी लोगों को सस्टेनेबल जीवन के मायने सिखा रहा है।

नागपुर के 24 वर्षीय युवक का अनोखा इनोवेशन, घास से बनाया बैग कम डेस्क

By निशा डागर

हिमांशु का बैग कम डेस्क मॉडल ज़रूरतमंद बच्चों के लिए डेस्क और बैग की समस्या तो सुलझाएगा ही, लेकिन साथ में यह इको-फ्रेंडली है और किफायती भी!

फिल्म बनाने बिहार आए डायरेक्टर, 300 मज़दूरों को रोज़गार देने के लिए बनवा रहे गोबर के गणेशजी

By पुष्यमित्र

लॉकडाउन में घर लौटे जो मजदूर खाली बैठे थे, वे अब रोजाना 450 से लेकर 1800 रुपए तक कमा रहे हैं।

अहमदाबाद की कंपनी ने बनाया सूखे और गीले कचरे को अलग करने वाला रोबोटिक मशीन!

रीसाइक्लिंग की समस्याओं को कम करने और कूड़ा बीनने वालों की सेहत के जोखिम को कम करने के लिए अहमदाबाद स्थित स्टार्टअप ने एक नई टेक्नोलॉजी विकसित की है।

IBM की नौकरी छोड़ शुरू किया खुद का काम,अब बनातीं हैं ऐसे बर्तन, जिन्हें खा भी सकते हैं आप।

By पूजा दास

ज़रा सोचिए आपको आपकी मनपसंद चॉकलेट आईसक्रीम एक ऐसी कटोरी में दी जाए जो चॉकलेट से ही बनी हो या फिर मज़ेदार सूप पीने के लिए एक खाने योग्य मसालेदार चम्मच दी जाए तो कैसा रहेगा? 

64 वर्षीया शुभांगी की प्लास्टिक फ्री मुहिम, मुफ़्त में बाँट चुकी हैं 35,000 कपड़े के थैले!

शुभांगी ने 2012 से अब तक किसी भी प्रकार के महंगे कपड़े और गहने नहीं ख़रीदे हैं। इस विषय पर वह कहती हैं, “मेरी सहेलियाँ जब भी बाज़ार जाती हैं मुझे साथ चलने को कहती हैं लेकिन अब कपड़ो और गहनों का तो मन ही नहीं करता। जो बचत होती है उन्हें सामाजिक कार्यो में लगा देती हूँ।

देश भर में घूम-घूमकर, मिट्टी की बोरियों से बनाते हैं घर, गर्मियों में भी रहता है ठंडा!

लगभग सभी आर्किटेक्ट फर्मों के विपरीत, ‘अर्थ बिल्डिंग’ का कहीं भी कोई मुख्यालय या हेड ऑफिस नहीं है। इसके लिए कोई ख़ास शहर निर्धारित नहीं किया गया है बाकि जहां भी प्रोजेक्ट पर काम चल रहा होता है, वे वहां चले जाते हैं।

सालों की मेहनत से बंजर पड़ी कोयले की खदान में लगाए हरे भरे पेड़,बना बायो डाइवर्सिटी पार्क!

By कुमार विकास

खनन गतिविधियों से झारखंड के कई जिलों में प्रदूषण, जैव विविधता असंतुलन और बंजर जमीनें बढ़ रही हैं। ऐसे समय में एक पहल ने जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण को बहाल कर एक मिसाल कायम कर दी है।

बेंगलुरु: जिसे कचरा समझकर जला देते थे लोग, उसी लकड़ी से बना रहे सस्ता, सुंदर व टिकाऊ फर्नीचर!

By पूजा दास

पाइनवुड से बने फर्नीचर बेहद टिकाऊ होते हैं और इन्हें आउटडोर धूप में या बारिश में रखने से ये ख़राब भी नहीं होते।

यूपी के शख्स ने बनाई गोबर से लकड़ी बनाने वाली मशीन, प्रति माह 8000 की आय का हुआ जुगाड़!

By पूजा दास

सिंह कहते हैं, "गोबर से लकड़ी बनाकर हम न केवल अपशिष्ट प्रबंधन कर रहे हैं बल्कि लकड़ी का एक बढ़िया विकल्प बनाने में भी मदद कर रहे हैं।"