मनाली से 8 Km दूर कन्याल गांव में बना 'जंगल हट' हिमाचल आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बड़े-बड़े आलिशान और सुविधाजनक होटल छोड़कर लोग इंजीनियर अतुल बोस के इस मिट्टी, पत्थर और लकड़ी से बने होमस्टे में ठहरने आते हैं, जहाँ उन्हें प्रकृति के बीच रहने और सस्टेनेबल लिविंग का अनुभव मिलता है।
मुंबई से लगभग दो घंटे की दूरी पर वासुंडे गाँव में, 100 साल पुराने बरगद के पेड़ के नीचे बना एक इको-फ्रेंडली होमस्टे- बनयान ब्लिस। इसे बनाने के लिए 69 वर्षीय विनोद नायर ने अपनी पत्नी बीना नायर के साथ 15 साल पहले मुंबई का जीवन और नौकरी छोड़ दी थी।
पुणे के पास पानशेत गांव में बना है बैम्बू एंड ब्रिक्स रिसोर्ट, जिसे बनाया है राहुल कोंडेकर ने। यहां बांस से बनी बेहतरीन नक्काशी देखने कई आर्किटेक्चर के छात्र भी आते हैं।
15 साल पहले, जब मनोज अपने फलों के बगीचे मेंपारंपरिक शैली का एक लॉज बना रहे थे, तब लोगों ने यहां तक कि घरवालों ने भी कहा कि इतना खर्च करके होटल जंगल के अंदर बना रहे हो, यहां कौन आएगा? लेकिन आज यह जगह कई प्रकृति प्रेमियों की मनपसंद जगह बन गई है, जहां सालभर लोग सुकून से कुछ पल बिताने आते हैं।
उज्जैन से करीब 50 किमी दूर बड़नगर में बना एक नेचुरल फार्म स्टे- जीवंतिका को दो आईआईटी टॉपर्स साक्षी भाटिया और अर्पित माहेश्वरी ने अपने जीवन के अनुभवों से बनाया है।
मिट्टी का घर टिकाऊ नहीं होता, इसमें ज्यादा देखरेख की जरूरत होती है। अगर एक ईको -फ्रेंडली घर के प्रति आपकी सोच भी ऐसी ही है, तो आर्किटेक्ट तुषार केलकर से जानें इन सारी समस्याओं का समाधान।
महाराष्ट्र के पालघर जिले के छोटे से गांव ऐनशेत में रोहन सुधीर ठाकरे ने खेतों के बीचो-बीच एक फार्मस्टे (farmstay near mumbai) बनवाया है। यहां लोग खेतों में रहते हुए गांव के जीवन का मज़ा ले सकते हैं।