मुंबई से सिर्फ़ दो घंटे की दूरी पर, सह्याद्री पर्वत के बीच बसा एक इको फ्रेंडली होमस्टे है- बनयान ब्लिस। यहाँ आप सुकून से अपनी चाय की चुस्की लेते हुए, आस-पास के हरे-भरे नज़ारे देख सकते हैं। एक पल के लिए तो यह मानना मुश्किल होता है कि यह जगह भागती-दौड़ती किसी महानगरी के पास बसी है।
यहाँ न गाड़ियों का शोर है, न ही सोशल मीडिया की अपडेट के लिए मोबाइल फ़ोन नेटवर्क या वाईफाई है। गाँव वालों की तरह यहाँ छुट्टी पर आते मेहमान भी रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने का आनंद लेते हैं।
कम से कम सीमेंट के इस्तेमाल से बने इस होमस्टे में आपको एक सस्टेनेबल लाइफस्टाइल का अनुभव मिलता है। इसे बनाने के लिए मुंबई के 69 वर्षीय विनोद नायर और उनकी पत्नी बीना नायर ने अपने जीवन के 15 साल लगा दिए। खोपोली में एक पहाड़ी पर 100 साल पुराने बरगद के पेड़ के इर्द-गिर्द बना उनका घर, आज शहरी लोगों को प्रकृति से मिलाने का काम कर रहा है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए विनोद नायर कहते हैं, “15 साल पहले इस जगह पर बिज़नेस शुरू करने का हमारा कोई इरादा नहीं था। लेकिन जिस तरह से जंगल कट रहे हैं और लोग प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं; ऐसे में एक समय ऐसा भी आ सकता है जब बच्चों को पेड़-पौधे देखने के लिए म्यूज़ियम जाना पड़े। शहरी बच्चों को प्रकृति की खूबसूरती का पता चले, इसी उद्देश्य से हमने अपने घर को एक होमस्टे में बदलने का फैसला किया।”
पर्यावरण अनुकूल घर बनाने के लिए छोड़ा शहरी जीवन
साल 2009 तक, विनोद मुंबई में ही एक एडवरटाइज़िंग कंपनी में काम कर रहे थे। उस दौरान उनका रूटीन इतना कठिन था कि उसका असर उनकी सेहत पर पड़ने लगा था। लेकिन उनकी ज़िंदगी तब पलट गई, जब 2009 में उन्हें हार्ट अटैक आया। ठीक होते ही उन्होंने फैसला किया कि अब शहरी जीवन नहीं जीना।
उस समय विनोद 56 साल के थे। उनके लिए अचानक काम से रिटायर होना एक बड़ा फैसला था। वह बताते हैं, “हमने 2007 में मुंबई के पास तक़रीबन एक एकड़ ज़मीन ख़रीदी थी, जहाँ हम अपना वीकेंड होम बनाने के बारे में सोच रहे थे। लेकिन बाद में मेरी पत्नी और मैंने उस जगह पर अपना स्थायी निवास बनाने का फैसला किया।”
उस समय इस जगह एक बरगद के पेड़ के आलावा पत्थर ही हुआ करते थे। क्योंकि यह जगह थोड़ी ऊंचाई पर है, इसलिए यहाँ पानी वग़ैरह की सुविधा भी एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन वह कहते हैं न ‘जहाँ चाह वहाँ राह।’ उन्होंने शहर की भाग-दौड़ छोड़कर एक सादा जीवन जीने के लिए अपने घर को इको फ्रेंडली बनाने का फैसला किया।
कड़ी मेहनत से पथरीली ज़मीन को बनाया हरा-भरा
उनकी पत्नी बीना ने इस घर को बनाने के लिए शुरुआती रिसर्च की। इस दौरान उन्होंने देशभर में बन रहे इको-फ्रेंडली घरों के बारे में पढ़ना शुरू किया।
जिसके बाद उन्होंने ऐसे कारीगरों को ढूढ़ना शुरू किया, जो यह घर बनाने में उनकी मदद कर सकें। विनोद और बीना ने मिट्टी की टाइल्स और बांस आदि का इस्तेमाल करके घर बनाया। यहाँ उन्होंने खिड़की और दरवाज़ों के लिए भी रीसायकल्ड लकड़ी का इस्तेमाल किया है। उन्होंने आस-पास के इलाके में पेड़-पौधे लगाना शुरू किया। विनोद कहते हैं, “इस ज़मीन में काफ़ी अंदर तक खुदाई करने पर पत्थर ही निकलते थे। लेकिन हमने धीरे-धीरे पत्थर हटाकर पौधे लगाने शुरू किए।”
आज यहाँ ढेरों पौधे और एक किचन गार्डन भी है।
शहरी लोगों के लिए इको फ्रेंडली होमस्टे बनाया
2014 में इस दंपति ने यहाँ और चार कमरे बनाए और अपने इस घर में पुणे और मुंबई से आते मेहमानों का स्वागत करना शुरू किया। इस तरह के पर्यावरण अनुकूल कमरे बनाकर वह लोगों को दिखाना चाहते थे कि बिना सीमेंट और आधुनिक सुविधा के भी एक बढ़िया जीवन जिया जा सकता है। यहाँ आने वाले लोगों को इन मिट्टी के कमरों में बिना ऐसी के एक संतुलित माहौल में रहने का आनंद मिलता है; जो ठण्ड में अंदर से गर्म और गर्मी में ठंडे रहते हैं।
इसके अलावा यहाँ बीना और विनोद ने अपने ऑर्गेनिक किचन गार्डन के लिए एक वर्मीकम्पोस्ट पिट भी बनाया है। इस गार्डन में वे ड्रिप तकनीक का इस्तेमाल करते हैं ताकि पानी को बचाया जा सके। इसी मक़सद से उन्होंने यहाँ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी तैयार किया है।
विनोद पूरा ध्यान रखते हैं कि यहाँ ऐसे लोग ही आएं जो प्रकृति के पास रहना चाहते हों। वह कहते हैं, “यह कोई पार्टी करने की जगह नहीं है। यह जगह एक गाँव में है जहाँ लोग जल्दी सो जाते हैं; इसलिए हम नहीं चाहते थे कि हमारे होमस्टे के कारण गाँव की शांति ख़राब हो। इसलिए यहाँ मेहमानों को ऐसे कुछ नियमों का ध्यान रखना पड़ता है। हम अपने मेहमानों को प्लास्टिक का कम इस्तेमाल करने के लिए भी प्रेरित करते हैं।”
बड़ी खुशी के साथ उन्होंने बताया कि लोग यहाँ ख़ास तौर से अपने बच्चों को लेकर आते हैं, ताकि वह मोबाइल फ़ोन के बिना मिट्टी में खेल कर कुछ समय बिता सकें।
69 और 66 की उम्र में भी विनोद और बीना अपने इस होमस्टे में मेहमानों का स्वागत बड़ी अच्छी तरह से कर रहे हैं। वहीं खुद भी एक सस्टेनेबल और मिनिमल जीवन जीकर कई लोगों के लिए प्रेरणा बने हैं।
आप बनयान ब्लिस के बारे में और ज़्यादा जानने के लिए उन्हें यहां संपर्क कर सकते हैं।
संपादन – भावना श्रीवास्तव
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