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जूट, मिट्टी और हल्दी से बनाया इको-फ्रेंडली रेस्टोरेंट, जानिए कैसे!

अहमदाबाद में रहने वाले भाद्री और स्नेहल ने अपनी फर्म tHE gRID Architects के तहत, मिट्टी, हल्दी और जूट का इस्तेमाल करते हुए, ‘मिट्टी के रंग’ नाम से एक रेस्टोरेंट को बनाया, जो इको-फ्रेंडली होने के साथ ही, 50 फीसदी सस्ता भी है।

इस शख्स के प्रयासों से बिहार बना गरूड़ों का आशियाना, जानिए कैसे

बिहार के भागलपुर स्थित मंदार नेचर क्लब के संस्थापक अरविंद मिश्रा 2006 से क्षेत्र में बड़े गरूड़ों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए संघर्षरत हैं। उनके प्रयासों से यहाँ इस संकटग्रस्त प्रजाति की संख्या 78 से 600 तक पहुँच गई है।

धान की पराली से आलू की खेती कर पर्यावरण, पानी और पैसे, तीनों बचा रहे यह किसान, जानिए कैसे

ओडिशा के रेसिंगा गाँव के रहने वाले दिलीप बराल पहले पराली को खेतों में ही जला देते थे, लेकिन अब वह इससे आलू की खेती कर, बड़े पैमाने पर पानी और पैसों की बचत कर रहे हैं।

चार दोस्तों का कमाल, 5 लाख बेकार प्लास्टिक की बोतलों से अंडमान में बनाया रिसॉर्ट!

अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5 लाख बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।

IAS का कमाल, कार्बन क्रेडिट से 50 लाख रूपये कमाने वाला देश का पहला शहर बना इंदौर

मध्य प्रदेश के इंदौर की एक आईएएस अधिकारी ने परियोजनाओं के लिए अर्जित कार्बन क्रेडिट को बेचने के बाद, इससे 50 लाख रुपए का राजस्व हासिल कर, ग्रीन प्रोजेक्ट को मोनेटाइज करने का तरीका खोज लिया है।

जलवायु परिवर्तन से नहीं होगा अब किसानों को नुकसान, मदद करेगी ये 'फसल'

By साधना शुक्ला

पेशे से इंजीनियर शैलेन्द्र तिवारी और आनंद कुमार ने एक ऐसा डिवाइस बनाया है जिसकी सहायता से किसानों को पता चल जाता है कि आने वाले 4-5 दिनों में उनके खेत के आसपास का मौसम कैसा होगा।

तीन दोस्तों का अनोखा आविष्कार; प्रदूषण के काले धुँए से अब बनेगी पेन या प्रिंटर की स्याही!

धुंध और प्रदूषण की वजह से एक साथ 13 गाड़ियों के टकराने की खबर देखकर, इन दोस्तों ने इसका हल ढूंढने की ठानी थी।

गुटखा छोड़, उन पैसों से 7 साल में लगाए 1 हज़ार पौधे!

"एक दिन वाटिका में आग लग गई और 200 पौधे जलकर राख हो गए। उस दिन मैं इतना रोया, जितना शायद अपनी माँ की मौत के समय भी नहीं रोया था। मेरे बच्चों ने मुझे सोच में देखकर आपस में सलाह की और मुझसे बोले, पापा आप एयरटेल के डिश को हटाकर फ्री वाला डिश लगा दीजिए और उन पैसों से पौधों की सुरक्षा के लिए तार की जाली ले आइए।"