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एक एकड़ में 130 टन गन्ना! जानिए सूखाग्रस्त इलाके में, कैसे कर दिखाया किसान ने यह कमाल

By निशा डागर

सांगली, महाराष्ट्र के रहने वाले किसान अमर पाटिल ने एक एकड़ में 130 टन गन्ना उगाकर, मिसाल कायम की है और कृषि क्षेत्र में अपने अभिनव कार्यों के लिए उन्हें कई कृषि सम्मानों से नवाजा गया है।

77 वर्षीया दादी ने घर में लगवाई बायोगैस यूनिट, LPG Cylinder पर खर्च हुआ आधा

By प्रीति महावर

पुणे निवासी, विमल दिघे का परिवार पिछले 16 वर्षों से खाना पकाने के लिए बायोगैस का उपयोग कर रहा है, जिससे उनके LPG Cylinder पर होने वाला खर्च आधा हो गया है।

परिवार के डेयरी फार्म को आगे बढ़ाने वाली 21 वर्षीया श्रद्धा धवन, कमातीं हैं 6 लाख रुपये/माह

By प्रीति महावर

महाराष्ट्र में अहमदनगर के निघोज गांव की श्रद्धा धवन ने 11 साल की उम्र में परिवार के डेयरी फार्म की जिम्मेदारी उठाई थी। आज 6 लाख रूपये/ माह आय के साथ, दो मंजिला मवेशी शेड में 80 भैंसों के दूध से प्रति दिन 450 लीटर दूध बेचती हैं।

युवती का अनोखा स्टार्टअप, किसानों के लिए खेतों में बनाए 12 हज़ार से ज्यादा तालाब

By निशा डागर

महाराष्ट्र के मुंबई में रहने वाली मैथिली की कंपनी सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी की समस्या से जूझ रहे किसानों के लिए सस्ते और टिकाऊ, आर्टिफिशियल तालाब, जलसंचय बना रही है!

धारावी में बन रहे हैं बचे-कुचे कपड़ों से ये ख़ूबसूरत और किफायती बैग्स!

By निशा डागर

एक सजग ग्राहक के तौर पर यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम वो प्रोडक्ट्स खरीदें, जो हमारे समाज और पर्यावरण के लिए कल्याणकारी हो!

कार्डबोर्ड से बना 10 रुपये का यह स्कूल बैग बन जाता है डेस्क भी!

By सोनाली

चीजें जो हम नज़रअंदाज़ करते हैं, वह अक्सर सबसे महत्वपूर्ण होती है। डेस्क, कुर्सी या ब्लैक बोर्ड किसी स्कूल की सबसे बेसिक आवश्यकता होती है। इसके बावजूद ग्रामीण भारत के सैकड़ों स्कूल इन सुविधाओं से दूर है। "

चापेकर बंधू: इन भाइयों ने पुणे से शुरू की थी अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की लड़ाई!

बाल गंगाधर तिलक द्वारा अपने अखबार ‘केसरी’ में इस्तेमाल की जाने वाली उत्तेजक भाषा से प्रभावित होकर इन्होंने रैंड के ख़िलाफ क़दम उठाने का फ़ैसला किया, क्योंकि उसने पुणे के कई परिवारों को अपमानित किया था।

इनके कार्ड की मांग है विदेशों में भी, एक इनोवेटिव आइडिया ने किया कमाल, कार्ड बना रूमाल!

By निशा डागर

पिछले 25 वर्षों से वे पुणे में 'उगम कॉपियर्स' के नाम से फोटोकॉपी और प्रिंटिंग का व्यवसाय चला रहे हैं।

पुणे की यह छात्रा युवाओं को ले जा रही है नेटफ्लिक्‍स से किताबों की दुनिया में

By अलका कौशिक

शहर में जिस तेजी से शू स्टोर खुलते हैं उतनी रफ्तार से बुक स्टोर नहीं खुल रहे। और पहले जैसी लाइब्रेरी की परंपरा भी चूकने लगी है। लेकिन इस दौर में अक्षता जैसे युवा सब्र का मंज़र दिखाते हैं। वो याद दिलाते हैं कि सब कुछ चूका नहीं है।