यह कहानी है मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहनेवाले केशरवानी परिवार और उनके Eco friendly tree house की है ,जो 150 साल पुराने पीपल के पेड़ के चारों ओर बना है।
मंजू नाथ और उनकी पत्नी गीता ने बेंगलुरु जैसे बड़े शहर में इको फ्रेंडली घर बनाया है। बिजली-पानी के साथ, अपने उपयोग के लिए सब्जियां उगाने के लिए भी वे प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
पढ़िए गुजरात के इस शिक्षक दंपति की कहानी, जिनका घर पूरी तरह से प्रकृति पर आधारित है। बिजली से लेकर पानी तक, यहाँ सबकुछ सोलर और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर चलता है।
IAS डॉ. लक्ष्मी प्रिया एम एस के निर्देशन में असम के बोंगाईगांव जिले में, पर्यावरण के अनुकूल कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है, जैसे- सौर स्ट्रीट लाइट लगाना, कचरे का प्रबंधन आदि। इसके साथ ही, उन्होंने 8000 बेकार प्लास्टिक की बोतलों से, एक सार्वजनिक शौचालय का निर्माण भी कराया है।
बेंगलुरु के रहने वाले सत्य प्रकाश वाराणशी अपनी फर्म सत्य कंसल्टेंट्स के तहत, पिछले करीब 28 वर्षों से आर्किटेक्चर के क्षेत्र में इको-फ्रेंडली संरचनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौरान उन्होंने 500 से अधिक परियोजनाओं को अंजाम दिया है।