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घर हो तो ऐसा

एक घर ऐसा भी: न कोई केमिकल घर आता है, न कोई कचरा बाहर जाता है

By निशा डागर

देहरादून, उत्तराखंड की रहनेवाली, 47 वर्षीया अनीशा मदान पिछले 12-13 सालों से स्वस्थ और इको-फ्रेंडली जीवन जी रही हैं। जानिए कैसे आया यह बदलाव।

बिजली-पानी मुफ्त और खाना बनता है सोलर कुकर में, बचत के गुर सीखिए इस परिवार से

By निशा डागर

गुजरात के भरुच में रहनेवाली 29 वर्षीया अंजलि और उनका परिवार 'सस्टेनेबल' तरीकों से जीवन जी रहा है।

कृषि-कचरे से मात्र 3 महीने में बना दिया कोविड केयर सेंटर, बिजली पर नहीं निर्भर

By प्रीति टौंक

उत्तर प्रदेश की आर्किटेक्ट श्रीति पांडे ने कृषि-कचरे से पंजाब और बिहार में मात्र 3 महीने में दो कोविड केयर सेंटर बना दिए।

शहर के बीचोबीच घर, फिर भी मिलती है शुद्ध हवा, पानी और भोजन, साथ ही कमाते हैं 70,000 रुपये

By प्रीति टौंक

मंजू नाथ और उनकी पत्नी गीता ने बेंगलुरु जैसे बड़े शहर में इको फ्रेंडली घर बनाया है। बिजली-पानी के साथ, अपने उपयोग के लिए सब्जियां उगाने के लिए भी वे प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।

बिना सीमेंट के बनाया घर, पीते हैं बारिश का पानी, नहाने-धोने से बचे पानी से उगाते हैं सब्जी

By निशा डागर

राजस्थान के डूंगरपुर में रहने वाले सिविल इंजीनियर, आशीष पंडा और उनकी पत्नी, मधुलिका से जानिए एक इको-फ्रेंडली और स्वस्थ जीवन जीने के टिप्स।

इनके घर में बिजली से लेकर पानी तक, सबकुछ है मुफ्त, जानिए कैसे

By प्रीति टौंक

पढ़िए गुजरात के इस शिक्षक दंपति की कहानी, जिनका घर पूरी तरह से प्रकृति पर आधारित है। बिजली से लेकर पानी तक, यहाँ सबकुछ सोलर और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर चलता है।

महिला IAS ऑफिसर की पहल, असम में पुरानी और बेकार 8000 प्लास्टिक की बोतलों से बनाया शौचालय

By निशा डागर

IAS डॉ. लक्ष्मी प्रिया एम एस के निर्देशन में असम के बोंगाईगांव जिले में, पर्यावरण के अनुकूल कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है, जैसे- सौर स्ट्रीट लाइट लगाना, कचरे का प्रबंधन आदि। इसके साथ ही, उन्होंने 8000 बेकार प्लास्टिक की बोतलों से, एक सार्वजनिक शौचालय का निर्माण भी कराया है।

मिट्टी से घर बनाना, पिछड़ेपन का प्रतीक है?” ऐसे कई मुद्दों को सुलझा रहे यह आर्किटेक्ट

बेंगलुरु के रहने वाले सत्य प्रकाश वाराणशी अपनी फर्म सत्य कंसल्टेंट्स के तहत, पिछले करीब 28 वर्षों से आर्किटेक्चर के क्षेत्र में इको-फ्रेंडली संरचनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौरान उन्होंने 500 से अधिक परियोजनाओं को अंजाम दिया है।

धूप, पानी और हवा का अध्ययन कर, बनातीं हैं सस्टेनेबल भवन, जानिए कैसे

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, आर्किटेक्ट अनघा जोशी और मधुरा जोशी ने आम लोगों की आर्किटेक्चर से संबंधित परेशानियों को हल करने के लिए, अपनी कंपनी Lab A+U की शुरुआत की। जिसके तहत वे अभी तक करीब 60 परियोजनाओं पर काम कर चुके हैं।