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Home घर हो तो ऐसा शहर से आकर बंजर ज़मीन पर बनाया मिट्टी का घर, उगा दिया फूड फॉरेस्ट

शहर से आकर बंजर ज़मीन पर बनाया मिट्टी का घर, उगा दिया फूड फॉरेस्ट

आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साईं जिले में सालों से बंजर पड़ी 13,900 स्क्वायर फीट की ज़मीन को बेंगलुरु के पुष्पा और किशन कल्याणपुर ने अपने बच्चों के साथ मिलकर केवल 3 महीने की कड़ी मेहनत और कोशिशों से न केवल उपजाऊ बना दिया, बल्कि यहाँ बनाया है 'वृक्षावनम' नाम का एक विशाल और सुन्दर फ़ूड फॉरेस्ट भी, जो आज उनके सस्टेनेबल घर की पहचान बन चुका है।

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शहर से आकर बंजर ज़मीन पर बनाया मिट्टी का घर, उगा दिया फूड फॉरेस्ट

आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साईं जिले के कोडिकोंडा में एक गेटेड कॉलोनी के अंदर एक छोटे से ज़मीन के टुकड़े पर मौजूद है हरा-भरा फू़ड फॉरेस्ट । यहाँ फल-सब्जियों के 163 पेड़-पौधे के साथ-साथ कई औषधीय पौधे लगाए गए हैं। ये पौधे चार लोगों के परिवार की रोज़ की ज़रूरत को पूरा करने के लिए काफी हैं।

हैरानी की बात तो यह है कि जिस ज़मीन पर आज यह लहलहाता फ़ूड फॉरेस्ट बसा है, वह ज़मीन सदियों से बंजर पड़ी हुई थी। बेंगलुरु के कपल पुष्पा और किशन कल्याणपुर ने इसे उपजाऊ बनाकर पुनर्जीवित करने का काम किया है। 

किसी सपने जैसा है यह फू़ड फॉरेस्ट

Pushpa and Kishan with their children
कल्यानपुर परिवार

पेशे से मेकअप आर्टिस्ट पुष्पा को हमेशा से ही अपनी ज़रूरत की चीज़ें खुद उगाने का शौक़ था। वह घर में ही अपनी छत पर टेरेस गार्डनिंग करके फल और सब्जियां उगाती थीं, जिससे उन्हें प्रकृति के करीब रहने का अनुभव मिलता था। अपना फ़ूड फॉरेस्ट 'वृक्षावनम' बनाना उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए पुष्पा बताती हैं, "हमने कोरोना महामारी के समय, लगभग 2.5 साल पहले यह ज़मीन खरीदी थी, तब यह पूरी तरह से बंजर थी। इसे उपजाऊ बनाने के लिए हमे कड़ी मेहनत करनी पड़ी और पूरे तीन महीने का वक़्त लगा।"

उन्होंने यहाँ नाइट्रोजन-फिक्सिंग प्लांट लगाए और कंपोस्ट व खाद जैसे कई जैविक तरीकों का इस्तेमाल किया। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और आज इस ज़मीन पर सैकड़ों फूल, फल, सब्जियों और जड़ी-बूटियों के पौधे हैं, जिन्हें इस कपल ने ऑर्गेनिक फार्मिंग के ज़रिए उगाकर फू़ड फॉरेस्ट तैयार किया है। 

सस्टेनेबल व खूबसूरत मिट्टी का घर

पुष्पा और किशन ने अपने फू़ड फॉरेस्ट वृक्षावनम की हरियाली के बीच एक इको-फ्रेंडली, सस्टेनेबल मिट्टी का घर भी बनाया है, जिसका नाम 'शम्भाला माने' रखा है। पुष्पा बताती हैं, "मेरा हमेशा से यह सपना था मेरा परिवार अपने खाने की चीज़ें उगाए, ताकि हम शुद्ध खाना खाएं और नेचर के पास एक मिट्टी के घर में रहें। आज मेरी यह चाहत पूरी हो चुकी है।"

काफ़ी पहले से सोचकर योजना बनाने के बावजूद, मिट्टी का घर बनाना उनके लिए बहुत आसान नहीं था। इस घर को बनाने के लिए उन्हें कई बार वर्कफोर्स और इसे डिज़ाइन करने के लिए कई आर्किटेक्ट बदलने पड़े थे। 

Shambala Mane set amidst Vrukshavanam.
शम्भाला माने

एक वर्कशॉप अटेंड करने के बाद, पुष्पा, किशन और उनके दोनों बच्चों ने कई दिनों तक साइट पर रहकर शम्भाला माने की दीवारें खुद से बनाईं और इस काम में उन्हें एक साल से ज़्यादा का समय लगा। 

650 स्क्वायर फीट के इस इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल घर को बनाने में मिट्टी की ईंटों और रीसाइकल्ड वुड जैसी प्राकृतिक चीज़ों का इस्तेमाल किया है। दो बेडरूम वाले इस मड हाउस में एक विशाल बरामदा और बाहर पारंपरिक रूप से बना एक किचन है।

कल्याणपुर परिवार हफ्ते में कम-से-कम एक बार यहाँ आकर वक़्त ज़रूर बिताता है। शहर में एक छोटे से ज़मीन के टुकड़े पर खिलखिलाता फू़ड फॉरेस्ट और उसके बीच बना खूबसूरत मिट्टी का घर आज हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर ही लेता है। 

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