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भारत हमेशा से ही अपनी युवा प्रतिभाओं के लिए प्रसिद्ध है। हमारे देश के युवा सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी काबिलियत के बल पर नाम कमा रहे हैं। आज हर मध्यमवर्गीय परिवार के युवाओं को सपना जहां एक ओर विदेशों में जाकर नौकरी करने का होता है, वहीं एक दंपत्ति ऐसी है, जो सिलिकॉन वैली में लाखों के सैलेरी पॅकेज को छोड़ कर अपने देश की भलाई के लिए लौट आई है।
आज हम आपको एक ऐसे कपल की कहानी से परिचित करवाने जा रहे हैं, जो विदेशों के आराम को ठोकर मार कर अपने देश लौटे और अब लोगों को ऑर्गेनिक खेती से अवगत करवा रहे हैं। आइये मिलते हैं बृंदा शाह और विवेक शाह से।
देश की तरक्की को लेकर थी सोच
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एक आम कपल की ही तरह बृंदा और विवेक ने बेहतर भविष्य की कल्पना की और उन्होंने कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली में अपना घर बनाया। लाखों के सैलेरी पॅकेज के साथ वे एक आरामदायक जीवन जी रहे थे, लेकिन जल्द ही काम के प्रेशर की वजह से अपनों का साथ छूटने लगा, चैन से जीना एक चुनौती बन गई। यही वो पल था, जब बृंदा और विवेक शाह ने अपने देश लौट कर कुछ अलग करने का मन बनाया।
आज एक फ़ार्म और ऑर्गनिक कंसल्टेंसी के ओनर विवेक शाह ने बताया, "हमारा फार्मिंग का बैकग्राऊंड कभी नहीं रहा। लेकिन बृंदा और मैं हमेशा से ही ऑर्गेनिक खेती करना चाहते थे। आज हम जो अनाज खाते हैं, उसकी गुणवत्ता को लेकर कोई भी हमें आश्वस्त नहीं कर सकता। इसलिए हम चाहते थे कि हम ऐसा अनाज उगाएं, जिसे खाने से पहले आपको सोचना ना पड़े। इसी विचार को मन में रख कर हमने विदेश छोड़ने का फैसला लिया।"
कुछ ऐसे शुरू हुआ ऑर्गेनिक खेती का सफर
गुजरात के अहमदाबाद से ताल्लुक रखनेवाले विवेक और बृंदा शाह ने अहमदाबाद में अपनी खेती लायक जमीन पर जैविक खेती से जुड़े प्रयोगों को करने से शुरुआत की। इस जैविक कृषि फ़ार्म में विवेक और बृंदा ने अनाज में गेहूं, बाजरे से लेकर धनिया, बैंगन, आलू जैसी सब्ज़ियों का भी उत्पादन शुरू किया। साथ ही साथ उन्होंने मौसमी फलों के अलावा केले, जामुन, पपीता जैसे फलों को भी बहुतायत में उगाया। ये सभी जैविक खेती के नियमों के अनुसार उगाई गई थीं और इनमें किसी भी प्रकार की रासायनिक मिलावट नहीं थीं। इस प्रक्रिया को देख कर कृषि एक्सपर्ट से लेकर पर्यावरणविद भी अचंभित रह गए। धीरे-धीरे विवेक और बृंदा द्वारा की जा रही खेती की खबर लोगों तक पहुंची और लोगों ने इस तकनीक का भव्य स्वागत किया।
नयी तकनीकों का निर्माण
विवेक और बृंदा का ये एक स्टार्टअप ही था। इस स्टार्टअप के बारे में बात करते हुए विवेक कहते हैं, "हमने सबसे पहले 6 महीने तक खुद खेती करने की शुरुआत की। उस दौरान नैशनल और इंटरनैशनल लेवल पर चल रही रिसर्च को ध्यान में रख कर डेटाबेस बनाया। इन रिसर्च से हमें पता चला कि मौसम, ज़मीन इत्यादि को ध्यान में रख कर हम अपनी खेती में कुछ सकारात्मक बदलाव कर सकते हैं। इससे हमें नुक्सान कम और फायदा ज़्यादा होता है। इस तरह छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रख कर हमने ऑर्गेनिक खेती करने की शुरुआत की।"
लेकिन ये सफर यहीं ख़त्म नहीं हुआ। इस कपल ने खेती की शुरुआत करने से पहले केले के चिप्स बनाने का फर्मकलचर भी सीखा। आज विवेक और बृंदा खुद के फार्म में केले के चिप्स का प्रोडक्शन करते हैं। इन चिप्स की खास बात यह है कि इसे ऑर्गेनिक तेल में बनाया जाता है। जिसकी मार्केट में डिमांड बहुत ज़्यादा है।
छोटे से स्टार्टअप से अर्बन इंडिया तक पहुंच
इस कपल ने पुरानी तकनीकों के बेस का इस्तेमाल करके नए आविष्कार भी किये। जिसमें सिंचाई संयंत्र, गोबर से बनी खाद और कीटकों से बचने के लिए मल्टीक्रॉपिंग और इंटरक्रॉपिंग जैसी तकनीकों का सहारा लिया।
विवेक और बृंदा सिर्फ गाँव में ही नहीं, बल्कि शहरों में भी इन प्राकृतिक तकनीकों को बढ़ावा देना चाहते थे। विवेक कहते हैं, "खेती की इन तकनीकों को हम ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ावा देना चाहते हैं। जितने ज़्यादा लोग हमसे जुड़ेंगे, उतना ही हम रासायनिक पदार्थों को अपने भोजन से दूर कर सकेंगे। यही हमारा लक्ष्य है कि लोग ज़्यादा से ज़्यादा ऑर्गेनिक खेती के गुरों को सीखें।"
यही वजह है कि विवेक और बृंदा ने ऑर्गेनिक खेती, किचन गार्डन जैसे विषयों पर सेमीनार भी लिए। इन सेमिनारों में वे पढ़े-लिखे युवा वर्गों को खेती के लिए ऑर्गेनिक तकनीकों के महत्त्व को समझाते हैं और उनसे जुड़ कर देश की कृषि तकनीक में बदलाव ला रहे हैं।
चुनौतियों से भी हुआ सामना
भले ही समाज की बेहतरी के लिए विवेक और बृंदा ने यह काम शुरू किया था, लेकिन फिर भी उन्हें चुनौतियों के थपेड़ों को सहना पड़ा। विवेक कहते हैं, "शुरू में जब हमने अनाज उगाने की शुरुआत की, तो लोगों ने हमारा मज़ाक बनाया। वे कहने लगे कि जितना अनाज आप धरती में बो रहे हैं, उतना ही अनाज आपको मिल रहा है। साथ ही जब हमने वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए गड्ढे खोदने की शुरुआत की, तो लोगों ने हमसे कहा कि हम ज़मीन खराब कर रहे हैं। लेकिन इन सभी बातों पर ध्यान न देते हुए हमने सकारात्मक रवैया अपनाया। हमें खुद पर भरोसा था। यही वजह है कि हम आज इतनी दूर निकल आए हैं।"
जल्द ही विवेक और बृंदा शाह अपने फार्म से उगाए गए अनाज और बाकि पदार्थों को रेडी टू यूज़ यानी कि तुरंत इस्तेमाल करने के लिए तैयार करनेवाले हैं। जिसके लिए वे इंटरनेट की मदद लेंगे। इस तरह आप बेहतरीन ऑर्गनिक तकनीक से उगाए गए खाद्य पदार्थों को घर बैठे मंगवा सकते हैं। धीरे-धीरे विवेक और बृंदा शाह का यह स्टार्टअप बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है।
यदि आप भी विवेक और बृंदा के इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़ना चाहते हैं, तो उनके फेसबुक पेज के ज़रिये उनसे संपर्क कर सकते हैं। आज विवेक और बृंदा शाह ने अपने देश में कृषि को एक बेहतर रूप देने की कल्पना की है, हो सकता है भविष्य में लोग उनके इस काम को अपनाकर बेहतर रूप से खेती कर सकें!
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संपादन - मानबी कटोच