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आज़ादी

'जन गण मन': राष्ट्रगान को गीत की धुन में पिरोने वाले गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

हम जब भी राष्ट्रगान की धुन पर सावधान में खड़े होते हैं, तो हमें इसे लिखने वाले महाकवि रबीन्द्रनाथ टैगोर की ही याद आती है। पर क्या आप जानते हैं कि यह धुन किसने बनायी थी?

मदन मोहन मालवीय: वह स्वतंत्रता सेनानी जो अकेले 172 क्रांतिकारियों को बचा लाया था।

By निशा डागर

मालवीय फिर से भारत की भूमि पर जन्म लेकर अपने जीवन को गरीबों और ज़रुरतमंदों के लिए समर्पित करना चाहते थे।

राजकुमारी गुप्ता: काकोरी कांड में बिस्मिल और अशफ़ाक के साथ था इनका भी हाथ!

By निशा डागर

राजकुमारी की क्रांतिकारी गतिविधियों का सच काकोरी कांड के बाद खुला। शायद बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि काकोरी कांड में सेनानियों के लिए हथियार पहुंचाने की ज़िम्मेदारी राजकुमारी ने ली थी।

'गाँधी बूढ़ी': तीन गोली खाने के बाद भी नहीं रुके थे इस 71 वर्षिया सेनानी के कदम!

By निशा डागर

अपने आख़िरी पलों में भी देश की इस महान बेटी ने झंडे को गिरने नहीं दिया और उनकी जुबां पर दो ही शब्द थे, 'वन्दे मातरम'!

इस गाँव को एक दिन बाद मिली थी आज़ादी की ख़बर, लोग झाँकिया लेकर पहुंचे थे ख़ुशी मनाने!

By Sanjay Chauhan

इस दिन सम्पूर्ण घाटी के लोग परम्परागत वेशभूषा धारण कर घरों में आजादी के दीये जलाते,तरह-तरह के पकवान बनाते और परम्परागत नृत्यों में रम जाते हैं।

15 अगस्त पर खरीदिये ये बीजों वाले झंडे, देश के प्रति पौधा बनकर उपजेगा आपका प्रेम!

By निशा डागर

बीजों वाले इस झंडे को सीड पेपर से बनाया जाता है। सीड पेपर एक बायोडिग्रेडेबल पेपर होता है जिसमें अलग-अलग किस्म के बीज होते हैं। पेपर को मिट्टी में दबाने पर ये बीज अंकुरित हो जाते हैं और कुछ दिनों में ये पौधे बनने लगते हैं!

जानिए उस महिला के बारे में जिसने झंडा फहराकर भारत छोड़ो आंदोलन में जान फूंक दी !

By भरत

जिसमें जोखिम उठाने का साहस नहीं है वह अपनी ज़िंदगी में कुछ भी हासिल नहींं कर सकता। - अरूणा आसफ अली

पुरुष-वेश में क्रांतिकारियों तक हथियार पहुँचाती थी यह महिला स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

साल 2010 में रिलीज़ हुई आशुतोष गोवरिकर की फ़िल्म 'खेलें हम जी जान से' में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने स्वतंत्रता सेनानी कल्पना दत्त की भूमिका निभाई थी।

आबिद हसन: सुभाष चन्द्र बोस के दल का वह सेनानी जिसने दिया था धर्मनिरपेक्ष 'जय हिन्द' का नारा!

'जय हिंद' का नारा देने वाले आबिद हसन हैदराबाद के ऐसे परिवार में बड़े हुए जो उपनिवेशवाद का विरोधी था। किशोरावस्था में ही ये महात्मा गांधी के अनुयायी बन गए।

चापेकर बंधू: इन भाइयों ने पुणे से शुरू की थी अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की लड़ाई!

बाल गंगाधर तिलक द्वारा अपने अखबार ‘केसरी’ में इस्तेमाल की जाने वाली उत्तेजक भाषा से प्रभावित होकर इन्होंने रैंड के ख़िलाफ क़दम उठाने का फ़ैसला किया, क्योंकि उसने पुणे के कई परिवारों को अपमानित किया था।