एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिक, 'कर्नल' निज़ामुद्दीन का जन्म उत्तर- प्रदेश में हुआ था। वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ड्राईवर और बॉडीगार्ड थे। उन्होंने नेताजी की जान बचाने के लिए खुद बंदूक की तीन गोलियाँ खायी थीं। 6 फरवरी 2017 को अपने गाँव में उन्होंने आख़िरी सांस ली।
18 साल की उम्र में जानकी ने बर्मा में कप्तान लक्ष्मी सहगल के बाद ‘झाँसी की रानी’ रेजिमेंट की कमान संभाली। 'झाँसी की रानी' रेजिमेंट, सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज का अभिन्न अंग थी। इस रेजिमेंट में सिर्फ़ महिलाओं को शामिल किया गया था।
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार, विजय सिंह 'पथिक' का जन्म उत्तर-प्रदेश के बुलंदशहर जिले में गुठावली कलाँ नामक गाँव में साल 1882 में 27 फरवरी को हुआ था। उन्होंने राजस्थान के लोगों में जनक्रांति लाकर, इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा। साल 1954 में उनका निधन हुआ।
तिलका मांझी का जन्म 11 फरवरी, 1750 को बिहार के सुल्तानगंज में 'तिलकपुर' नामक गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। साल 1857 में मंगल पांडे के विद्रोह से भी पहले साल 1770 में उन्होंने आज़ादी की लड़ाई शुरू की थी। कई लेखकों और इतिहासकारों ने उन्हें 'प्रथम स्वतंत्रता सेनानी' होने का सम्मान दिया है।
मुस्लमानों के रहबर-ए-आज़म और हिन्दुओं के दीनबंधु सर छोटूराम का जन्म 24 नवम्बर 1881 में झज्जर के छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण किसान परिवार में हुआ। उन्होंने वकालत की डीग्री ली। ताउम्र उन्होंने किसानों और गरीबों के लिए काम किया। 9 जनवरी 1945 को उनका निधन हुआ।
राजस्थान के चारण घराने से ताल्लुक रखने वाले केसरी सिंह बारहठ प्रसिद्ध राजस्थानी कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 21 नवम्बर, 1872 को शाहपुरा रियासत के देवपुरा गाँव में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया। 14 अगस्त 1941 को उनका निधन हुआ।
लखनऊ में जन्मीं ऊदा देवी 'पासी' जाति से सम्बन्ध रखती थीं। उनके पति का नाम मक्का पासी था और शादी के बाद ससुराल में ऊदा का नाम 'जगरानी' रख दिया गया। इस 'दलित वीरांगना' ने लखनऊ के सिकंदर बाग में ब्रिटिश सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया। 16 नवम्बर 1857 को वे वीरगति को प्राप्त हुईं।
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी करतार सिंह का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के सराभा गांव में 24 मई, 1896 को हुआ था। उन्होंने अमेरिका में रहते हुए भारतीय स्वतंत्रता के लिए ग़दर पार्टी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। लाहौर षडयंत्र के लिए उन्हें 16 नवम्बर 1915 को फांसी दी गयी।
3 नवंबर 1917 को जन्मीं अन्नपूर्णा महाराणा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी थी। इसके अलावा वह एक प्रमुख सामाजिक और महिला अधिकार कार्यकर्ता भी थीं। अन्नपूर्णा, महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थी। 96 वर्ष की उम्र में 31 दिसम्बर 2016 को उन्होने दुनिया से विदा ली।