कहते हैं कि अपने सपनों को पूरा करने की कोई तय उम्र नहीं होती है। आप जब चाहें तब अपना आसमान छू सकते हैं, बस जरूरत है तो हौसले की। दिल्ली के नजफ़गढ़ इलाके में रहने वाली 39 वर्षीया ऋतू कौशिक की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। कम उम्र में शादी, घर-परिवार की जिम्मेदारी के बीच उन्होंने अपने सपने को मरने नहीं दिया और यही वजह है कि आज हैंडबैग बिजनेस के क्षेत्र में हर कोई उनकी बात कर रहा है।
अपने हैंडबैग के कारोबार, ‘ऋतुपाल कलेक्शन‘ के जरिए ऋतू न सिर्फ ‘बिज़नेसवुमन’ बनी बल्कि अपने जैसी बहुत सी महिलाओं के लिए प्रेरणा भी हैं। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरी शादी 16 साल की उम्र में हो गयी थी। तब सिर्फ 12वीं की पढ़ाई ही हो पाई थी। मेरे मायके में भी संयुक्त परिवार था और ससुराल में भी। इसलिए घर-परिवार की जिम्मेदारियों में अपने सपनों को जीने का मौका नहीं मिला। मैंने खेती-बाड़ी से लेकर गौपालन तक, सब कुछ किया है।”
उन्होंने बताया कि गांव में संयुक्त परिवार में रहते हुए उन्हें न तो आगे पढ़ने का मौका मिला और न ही अपना कुछ काम करने का लेकिन ऋतू को तो कुछ करना था। वह कहती हैं कि समय के साथ उनका परिवार नजफगढ़ में बस गया। यहां उन पर सास-ससुर, पति और दो बच्चों की जिम्मेदारी थी। इन सबके बीच ऋतू ने अपने लिए समय निकालने की कोशिश की और पढ़ाई शुरु की। पति सतपाल कौशिक के सहयोग से उन्होंने ग्रैजुएशन की पढ़ाई करने का फैसला किया।
“जब मैंने ग्रैजुएशन में दाखिला लिया तब मेरा बेटा 12वीं में था। शादी के लगभग 16 साल बाद मुझे फिर से पढ़ने का मौका मिला,” उन्होंने कहा।
दूसरों की बातों पर नहीं दिया ध्यान
सतपाल कहते हैं, “ऋतू हमेशा कहती थीं कि उनका पढ़ाई का सपना अधूरा रह गया। इसलिए जब उन्होंने खुद कहा कि अब वह पढ़ना चाहती हैं तो उन्हें रोकने का तो कोई सवाल ही नहीं था। मैंने तुरंत उसका दाखिला करवाया। वह इतने वर्षों से मेरे परिवार को संभाल रही हैं तो क्या मेरा फ़र्ज़ नहीं बनता कि मैं उनके किसी सपने को पूरा करने में उनका साथ दूं। मुझे पता था कि वह मेहनती हैं और अपना लक्ष्य हासिल कर लेंगी।”
ऋतू ने ग्रैजुएशन में दाखिला तो ले लिया, लेकिन यह सफर उनके लिए आसान नहीं था। हालांकि उनके परिवार को उनकी पढ़ाई से कोई समस्या नहीं थी लेकिन जमाने को थी और इसलिए अक्सर लोग ताना देने से नहीं चूकते थे। ऋतू कहती हैं कि उस समय लोगों की बातें चुभती जरूर थी लेकिन उनकी बातों से ज्यादा जरुरी उनका सपना था। वह हमेशा से पढ़ना चाहती थीं लेकिन किस्मत ने कभी मौका नहीं दिया। इसलिए जब यह मौका मिला तो उन्होंने इसके बीच किसी की बातों को नहीं आने दिया। ग्रैजुएशन के बाद उन्होंने सोचा कि वह अपना कोई काम करें।
उन्होंने कहा, “वैसे तो मेरे घर की आर्थिक स्थिति ठीक थी लेकिन इसके बावजूद मुझे अपनी एक अलग पहचान बनानी थी। ऐसे में मैंने अपने शौक को आजमाने की कोशिश की। दरअसल मुझे बचपन से हैंडबैग का बहुत शौक रहा है। ऐसा शौक नहीं कि बस बदल-बदल कर हैंडबैग ले लिए। बल्कि मुझे हैंडबैग के अलग-अलग मार्किट की भी जानकारी थी। क्या नया सैंपल आ रहा है और किस मटेरियल की गुणवत्ता कैसी रहती है, यह भी मुझे पता था। इसलिए मैंने सोचा कि हैंडबैग का काम किया जाए।”
लेकिन यह काम कैसे हो? कई जगह से ऋतू को अपनी दुकान खोलने की सलाह मिली। लेकिन उन्हें लगा कि दुकान खोलना सही नहीं रहेगा क्योंकि दुकान पर आपको सुबह से शाम तक बैठना पड़ता है। “फिर ऐसा नहीं था कि आप कहीं भी दुकान खोल सकते हैं। इसके लिए आपको अच्छी जगह ढूंढ़नी पड़ती है और इसमें निवेश भी ज्यादा आता है। मैं अपने शुरूआती निवेश को कम से कम रखना चाहती थी। ताकि अगर कभी काम न भी चले तो ज्यादा नुकसान न हो। दुकान खोलने में मुझे काफी समस्याएं थी इसलिए मुझे लगा कि कुछ और करना पड़ेगा,” उन्होंने कहा।
खोली अपनी ऑनलाइन दुकान
उसी दौरान ऋतू के बेटे ने ऑनलाइन मोबाइल फोन मंगवाया। इससे पहले भी वह देखती थीं कि कैसे आजकल लोग ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं। ऋतू ने अपने बेटे से इसके बारे में पूछा तो उसने उन्हें समझाया कि कैसे फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन बिज़नेस किया जा सकता है। यहीं से ऋतू को आईडिया मिला कि वह अपनी दुकान ऑफलाइन न सही, ऑनलाइन तो खोल ही सकती हैं। फिल्पकार्ट पर रजिस्ट्रेशन करने में उनके बच्चों ने उनकी मदद की।
वह कहती हैं, “शुरुआत में, मैंने सिर्फ 10 हजार रुपए निवेश किए। मैं अलग-अलग मार्किट गयी और वहां से अलग-अलग हैंडबैग के सैंपल लेकर आई। इसके बाद, एक-दो मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से संपर्क किया कि मुझे हैंडबैग बनवाने हैं। कुछ अच्छे हैंडबैग तैयार कराकर मैंने फ्लिपकार्ट पर डाले। इस तरह से साल 2016 में मैंने अपना ‘ऋतुपाल कलेक्शन’ शुरू किया। पर इसमें बहुत मुश्किलें आई क्योंकि मैंने निवेश तो कर दिया था पर छह महीने तक 15-20 दिन में एक या दो ही ऑर्डर मिल पाते थे।”
ऋतू के पति सतपाल कहते हैं, “ऋतू की सबसे खास बात हमेशा यह रही कि वह सीखने से पीछे नहीं हटी। साथ ही, उन्हें चीजें बहुत अच्छे से मैनेज करना आता है। इसलिए धीरे-धीरे उन्होंने कंप्यूटर भी सीख लिया और बिज़नेस से जुड़ी दूसरी जरुरी बातें भी। इस दौरान फ्लिपकार्ट की टीम ने भी काफी सपोर्ट किया। उन्होंने उनके ट्रेनिंग प्रोग्राम भी लिए कि वह कैसे अपने प्रोडक्ट्स को प्रमोट कर सकती हैं। लगभग छह-सात महीने की मेहनत के बाद ऋतू के ऑर्डर बढ़ने लगे और इसके बाद तो उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।”
अपने बिजनेस के बारे में ऋतू कहतीं हैं, “अगर मैं मार्किट में अपनी दुकान खोलती तो भी शायद इतना अच्छा नहीं कमा पाती। क्योंकि आज का जमाना ऑनलाइन है और इसलिए मैं लोगों को, खासकर कि जिनकी कोई रिटेल शॉप है, उनको सलाह देती हूं कि उन्हें ऑनलाइन सेलिंग से जुड़ना चाहिए। इससे उनका बिज़नेस बढ़ेगा।”
बनी हैं फ्लिपकार्ट की टॉप सेलर
ऋतू ने अपने घर के ही पहले फ्लोर पर अपना बिजनेस सेटअप किया है। उन्होंने कहा कि उनके सभी हैंडबैग्स बनकर यहां आते हैं, जिन्हें वह ऑर्डर के हिसाब से आगे पैक करके शिप करती हैं। “मैंने हमेशा क्वालिटी पर ध्यान दिया। मैं कोई भी प्रोडक्ट तभी ऑनलाइन लिस्ट करती हूं, जब मुझे इसकी क्वालिटी का पूरा भरोसा हो जाता है। ताकि ग्राहकों को बाद में कोई शिकायत न हो,” वह कहती हैं।
सुबह चार बजे उठकर सबसे पहले घर का काम निपटाने वाली ऋतू सुबह 10 बजे से लेकर शाम के छह बजे तक आराम से अपना बिज़नेस संभालती हैं। प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता के कारण ही वह कई बार फ्लिपकार्ट की टॉप सेलर बनी हैं। उन्होंने कहा कि अब उन्हें हर महीने 700 से ज्यादा ऑर्डर मिलते हैं और उनका टर्नओवर एक करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। उन्होंने तीन लोगों को रोजगार भी दिया हुआ है।
“ऑनलाइन बिज़नेस शुरू करना आज के जमाने में बहुत आसान है। अगर आप अपनी दुकान करते हैं और ऐसा कोई प्रोडक्ट्स बेचते हैं, जो आप ऑनलाइन भी बेच सकते हैं तो आपको अपनी दुकान को अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करना चाहिए। शुरू के कुछ महीने आपको परेशानी होंगी लेकिन इससे आपका बिज़नेस काफी बढ़ेगा,” उन्होंने कहा।

उनकी सफलता की कहानी को फ्लिपकार्ट ने अपने प्लेटफार्म पर प्रोमोट भी किया ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को हौसला मिले। और यहीं से Believe Films की डायरेक्टर वृंदा समर्थ को उनके बारे में पता चला।
सतपाल बताते हैं कि वृंदा एक इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट ‘Her&Now Campaign‘ के लिए डॉक्यूमेंट्री बनाने पर काम कर रही थीं, जिसके लिए उन्हें एक महिला उद्यमी की कहानी की जरूरत थी। दक्षिण भारत से होते हुए वृंदा की यह तलाश ऋतू पर आकर रुकी। उन्होंने ऋतू के गांव, उनके स्कूल और परिवार में डाक्यूमेंट्री शूट की, जिसका नाम है ‘Ritu Goes Online‘
इस डॉक्यूमेंट्री को जर्मनी के साथ-साथ अमेरिका में भी दिखाया गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकी ऋतू पर आज उनके पूरे परिवार को गर्व है।
ऋतू हर किसी से बस यही कहतीं है कि आपको कभी भी अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए। कोई भी काम करते समय यह मत देखिये कि यह काम छोटा है या बड़ा। बस काम कीजिए क्योंकि अगर मेहनत सच्ची होगी तो छोटा काम भी आपको बड़ा बना देगा। साथ ही, वह सुझाव देती हैं कि बदलते जमाने में बिज़नेस के तौर-तरीकों को भी बदलना होगा।
अगर आप ऋतू कौशिक से संपर्क करना चाहते हैं तो उनके फेसबुक पेज (https://www.facebook.com/ritupalcollection) पर जा सकते हैं।
संपादन- जी एन झा
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