क्लास में जानवर, टूटे दरवाजे, ऐसा था यह सरकारी स्कूल, 4 महीने में एक टीचर ने की काया पलट

chattisgarh school

40 सालों तक बदहाल पड़े रहे इस स्कूल में कई शिक्षक आए और कई शिक्षक गए लेकिन गौतम शर्मा ने इस स्कूल की तस्वीर को बदलने के लिए अपनी पूरी जान लगा दी।

हम अक़्सर सरकरी स्कूल की जर्जर बिल्डिंग एवं वहाँ मौजूद अव्यवस्था के बारे में पढ़ते हैं। अख़बार हो या टीवी ऐसी तमाम नकारात्मक खबरें सुनने को मिलती हैं लेकिन छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िले के एक शिक्षक ने अपनी इच्छाशक्ति एवं मेहनत से सरकारी स्कूल का न सिर्फ कायाकल्प किया बल्कि एक ज़िम्मेदार शिक्षक के कर्त्तव्य का पालन कर बच्चों के जीवन में शिक्षा की अलख भी जगाई।

सूरजपुर जिले के शासकीय प्राथमिक शाला झारपारा (पंपापुर) में अव्यवस्था का यह आलम था इस गाँव के हर शख्स को लगता था कि यहाँ पढ़ाई नहीं हो सकती है. लेकिन यहाँ के शिक्षक गौतम शर्मा के लगातार प्रयासों के चलते आज स्थितियाँ बदलने लगी हैं।

chattisgarh teacher
गौतम शर्मा

जब जर्जर विद्यालय में मिली पोस्टिंग

24 सितम्बर 2018 को गौतम की पोस्टिंग शासकीय प्राथमिक शाला झारपारा में हुई। हाल यह था कि सभी कमरों के फर्श उखड़कर गड्ढ़े बने हुए थे और बच्चों को इन्हीं गड्ढ़ों पर फटी हुई टाटपट्टी पर बैठकर पढ़ाना पड़ता था। स्कूल के दरवाजे-खिड़कियाँ और गेट उखड़े व टूटे पड़े थे। स्कूल का अतिरिक्त कक्ष गौशाला में तब्दील हो चुका था, क्योंकि गाँव की गायें यहीं रात गुजारती थीं। कैंपस में स्वच्छता की स्थिति भी बहुत दयनीय थी। स्कूल में चार पेटी, दो कुर्सी और एक टेबल के अलावा कोई भी संसाधन उपलब्ध नहीं था। इतना ही नहीं शाम के बाद विद्यालय में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा होता था।

जर्जर स्कूल

गौतम कहते हैं, “गाँव वालों से जब बात करने की कोशिश की तो लोगों ने सलाह दी कि जितने दिन हो काम करो और वापस चले जाओ। लोगों ने मनोबल कमजोर करने में कोई कमी नहीं छोड़ी और कुछ ने तो यह भी कह दिया कि 40 वर्ष में बहुत शिक्षक आए और चले गए। यह सब सुनकर एक पल तो चिंता हुई, लेकिन फिर मैंने सोचा कि इस विद्यालय को लेकर लोगों में केवल जागरूकता का अभाव है इसलिए मैंने अपने स्तर पर मेहनत शुरू कर दी।“

अराजकता फ़ैलाने वालों युवाओं को लाये साथ तो शुरू हुआ स्कूल का सुहाना सफ़र

chattisgarh school
खंडहर से बना नया विद्यालय

 गौतम बताते हैं कि उन्होंने ठान लिया था कि वह विद्यालय का कायाकल्प करके ही रहेंगे। वह कहते हैं, “इसी कड़ी में मैंने गाँव के लोगों से बात करना शुरू किया और उन्हें विद्यालय होने के महत्व को समझाया। इसके साथ-साथ जो गाँव के युवा साथी इस विद्यालय को शुरू करने में बाधा बन रहे थे, उन सभी को समझाने का काम शुरू किया। छत्तीसगढ़ प्रदेश का पहली नवयुवक शालादूत समिति बनाकर उन्हीं युवाओं को अपने साथ जोड़ लिया। इसके बाद मैंने सरपंच से विद्यालय की मरम्मत के लिए सहयोग माँगा और उन्होंने भी मेरी हरसंभव मदद की।“

chattisgarh school
नवाचार मॉडल में काम करते बच्चे

इसके अलावा गाँव के लोगों ने भी खूब मदद की और स्कूल की दशा सुधारने के लिए अपनी-अपनी ओर से योगदान दिया। इतना ही नहीं स्कूल को आकर्षित बनाने के लिए रंगाई-पुताई का कार्य भी खुद ही सर्दियों की छुट्टियों में कर डाला। इस पूरे कार्य में लगभग 4 महीने लग गए लेकिन एक जर्जर भवन अब नया रूप ले चुका था। गाँव वालो का सहयोग से   बच्चे पढ़ने आने लगे। जनवरी 2019 में बच्चों में स्कूल के प्रति रूचि बढ़ाने के लिए अपने स्वयं के वेतन से स्कूल में सभी बच्चों के लिए टाई-बेल्ट और परिचय पत्र उपलब्ध कराया। इस बदलाव की यात्रा में रामानुज नगर के जनपद सीईओ भानुप्रताप चुरेन्द्र ने भी हर संभव मदद की। बच्चों के लिए विद्यालय में सुधार कार्य हेतु उन्होंने तत्काल शासकीय मदद भी सुनिश्चित की।

बच्चों के पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए आयोजित किया समर कैंप

chattisgarh school
शिक्षक गौतम शर्मा के साथ छात्र

गौतम ने स्कूल में एक समर कैम्प का आयोजन भी करवाया जिसमें बच्चो को ताइक्वांडो,  हैंड राइटिंग सुधार, बैडमिंटन, स्पीकिंग स्किल्स आदि पर जोर दिया गया। शाला समिति अध्यक्ष  विनोद साहू कहते हैं, “गौतम शर्मा ने बहुत ही कम समय में ही स्कूल का कायाकल्प ही कर दिया। उनके द्वारा किये गए कार्यो की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है। इस तरह लोगों मे सरकारी स्कूल के प्रति विश्वास का संचार हुआ।“

इसके साथ साथ गौतम ने विभिन्न नवचार मॉडल के माध्यम से बच्चो में शिक्षा की अलख जगाई है। गौतम के पहले जिस विद्यालय में 22 बच्चे पढ़ते थे आज उसी विद्यालय में 61 बच्चे पढ़ते हैं।

पिगी बैंक से बचत की आदत विकसित करने साथ ही साथ बैंकिंग प्रणाली की समझ विकसित की

chattisgarh school
पिगी बैंक मॉडल से सीखते छात्र

गौतम ने बच्चों में बचत की आदत विकसित करने और फ़िज़ूल खर्च की आदत छुड़ाने और बैंकिंग प्रणाली को समझाने के उद्देश्य से पिगी बैंक की स्थापना की, जो अपने आप में बेहद अनूठा है। बच्चे अपने पॉकेट मनी से एक-एक रुपये बचत कर अपने खाते में जमा करते हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से कमजोर अपने सहपाठियों की मदद भी करते हैं। इतना ही नहीं सभी बच्चों के पास अपनी एक पासबुक भी है, जिसमें बैंक का कैशियर एंट्री करता है। इस बैंक का संचालन विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे स्वयं करते हैं। कोई अकाउंट का कार्य करता है तो कोई कैशियर है।

कोरोना काल में शुरू किया मिस्ड कॉल गुरुजी मॉडल

chattisgarh school
मिस्ड कॉल गुरूजी से पढाई करता छात्र

कोरोना संकटकाल में बच्चों की पढ़ाई जारी रखना एक चुनौती जरूर थी लेकिन गौतम ने इसे अवसर की तरह लिया। गौतम अपने इनोवेटिव कार्य मिस्ड कॉल गुरूजी के बारे में बताते हैं, “आमतौर पर हमारे यहाँ अधिकांश बच्चों के पास साधारण मोबाइल होते हैं, इन मोबाइल में इंटरनेट की सुविधा नहीं होती है, जिसके कारण ये बच्चे शासन द्वारा चलाए जा रही  ऑनलाइन क्लास से नहीं जुड़ पा रहे हैं। इस मिस्ड कॉल मॉडल की अच्छी बात यह है कि जिन बच्चों के पास स्मार्ट फ़ोन नहीं है वो भी इसका हिस्सा बन सकते हैं। वे अपने मिस्ड कॉल गुरूजी से पास एक मिस्ड कॉल करके आसानी से पूरी पढाई का ऑडियो सुनकर पढ़ाई कर सकते हैं।“ इनका यह नवाचार मॉडल वर्तमान में राज्यभर में संचालित हो रहा है।

खुद के बचपन के संघर्ष ने शिक्षा का महत्त्व समझाया था

chattisgarh school
शिक्षक गौतम शर्मा के साथ छात्र 01

गौतम ने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरा बचपन संघर्ष में बीता है इसलिए शिक्षा के महत्व को बखूबी समझता हूँ। संसाधनों का अभाव जरूर था लेकिन माँ ने कभी पढाई में कोई कमी नहीं होने दी। गौतम कहते है कि 10 वर्ष की उम्र में काम शुरू कर दिया। ब्रेड बेचने से लेकर पार्ट टाईम जॉब सब कुछ किया और 19 वर्ष के उम्र में शिक्षक बन गया। 2005  में शिक्षक बना और गांव के बच्चों को पढ़ाने के लिए प्राथमिक शाला जाने लगा। बच्चो को पढ़ाते पढ़ाते नवाचार की शुरुआत की है। छोटे छोटे आइडिया से नए-नए प्रयोग करता गया और आज ख़ुशी होती है जब अपने नवाचार कार्यों को पूरे राज्य में लागू होते हुए देखता हूँ।“

chattisgarh school
पहले ऐसा दिखता था स्कूल(बायें), अब ऐसा दिखता है स्कूल(दायें)

शिक्षा और सामाजिक सरोकार के इनके कार्यों के लिए पांच सितम्बर को उन्हें राज्यपाल अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। सूरजपुर जिले के शासकीय प्राथमिक शाला झारपारा (पंपापुर) के शिक्षक गौतम शर्मा ने चार महीने में ही स्कूल का कायाकल्प कर साबित कर दिया है कि लगन व मेहनत से सब कुछ संभव है। गौतम चाहते तो खानापूर्ति करते हुए कुछ समय बाद दूसरे स्कूल में चले जाते लेकिन उन्होंने संघर्ष का मार्ग चुना, अपनी लगन और प्रतिज्ञा से एक बड़े बदलाव का न केवल सपना देखा अपितु उसे धरातल में सच करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।

संपादन- पार्थ निगम

यह भी पढ़ें- केरल के इस शिक्षक ने सरकारी स्कूल को बना डाला ब्रांड, डॉक्टर, आईएएस बनाता है यह स्कूल

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X