बात 9 साल पुरानी है, जब कोटा की पारुल सिंह के बड़े बेटे देव ने उनसे छुई-मुई के पौधे के बारे में पूछा।
उन्होंने उसे पास की नर्सरी में ले जाकर पौधा दिखाने की सोची। नर्सरी में ढेरों पौधे देखकर, उन्हें इतना अच्छा लगा कि उन्होंने अपने बेटे की पसंद के करीबन 12 पौधे वहां से खरीदें और घर ले आईं।
तब उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि पौधों से उनकी दोस्ती का यह सफर अब काफी लम्बा चलने वाला है।
पौधे तो उनको पसंद हमेशा से थे, लेकिन गार्डनिंग करने का कोई अनुभव नहीं था।
जब वह 12 पौधे लाई तो घर में इतना अच्छा माहौल बन गया कि उन्होंने गार्डन बनाने का फैसला कर लिया।
पारुल का गार्डन बनाने का सपना तब पूरा हुआ, जब वह, अपने खुद के घर में रहने आयीं। यहां उनके पास छत भी थी और नीचे के भाग में अच्छी जगह थी।
फ़िलहाल उनके पास करीबन 1000 स्क्वायर फ़ीट की छत है। यहाँ उन्होंने कैक्टस की 150 किस्मों के 200 पौधे उगाएं हैं।
वहीं वॉटर लिली के 30 और कमल के 10 पौधे लगे हैं, जिनको उन्होंने टब में उगाया है।
उनके घर की छत पर ज्यादा धूप नहीं आती, इसलिए वह यहां सब्जियां नहीं उगातीं।
कोटा, राजस्थान के सबसे गर्म शहरों में से एक है। लेकिन पारुल के घर में AC चलाने की बहुत कम जरूरत पड़ती है।
यह कमाल है उनके घर में लगे 1500 पौधों का। गार्डनिंग के शौक के कारण घर में हरियाली तो रहती ही है, साथ ही ठंडक भी अच्छी खासी बनी रहती है।
पारुल ने बताया, “मेरी गार्डनिंग की शुरुआत, मेरे बच्चों के साथ ही हुई थी, इसलिए मेरे बच्चे भी मेरी गार्डनिंग का हिस्सा बन गए हैं। स्कूल में जब वे अलग-अलग पौधों की किस्मों का नाम बताते हैं, तो उनके टीचर भी आश्चर्य करते हैं।”